Friday, December 1, 2023

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दुनिया की सबसे बड़ी मशीन biggest machine todaydna

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दुनिया की सबसे बड़ी मशीन biggest machine todaydna

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दुनिया की तीन सबसे बड़ी मशीन कौन सी है ये मशीन इतनी बड़ी है जो लाखों लोगों का काम अकेले कर सकती है इनके सामने इंसान तो क्या जेसीबी जैसी मशीन भी छोटी नजर आती हैं इस लिस्ट में तीसरे नंबर पे आती है बैगर 288 ये मशीन 40 हज़ार लोगों का काम अकेले कर सकती है इसलिए जर्मनी में बनाया गया है जो हर दिन 2 लाख 40 हज़ार टन कोयला खो सकती है इसे बनाने में 7 अरब रुपये का खर्च आया था, जिसका कार्य इतना बड़ा होने के कारण इसे बंद कर दिया गया इस लिस्ट में दूसरे नंबर पे आती है नासा की विशाल क्रॉलर ये दुनिया की सबसे भारी मशीन है जो महज एक किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है
ये स्पेस क्राफ्ट को एक जगह से दूसरी जगह ले जाती है पहले नंबर तो है लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर की लंबाई छब्बीस पौइंट सात किलोमीटर है
तो चलिए डिटेल से जानते है इस लिस्ट में तीसरे नंबर पे आती है
बैगर 288‘ दुनिया की सबसे बड़ी मशीन थी, जिसे अब बंद कर दिया गया है। इस मशीन का साइज देखकर आपको ‘गॉडजिला’ फिल्म का विशाल डायनासोर याद आ जाएगा। अस्तित्व में आने के बाद से यह मशीन पर्यावरण प्रेमियों की नजर में विलेन बनी रही। यह अकेले ही 40 हज़ार लोगों के बराबर का काम करती थी। बेहतरीन इंजीनियरिंग का प्रतीक माने जाने वाली इस मशीन ने हमबाख जंगल के एक बड़े इलाके को पूरी तरह उजाड़ दिया था!
वर्ष 1978 में सामने आई ‘बैगर 288’ को जर्मन कंपनी क्रुप ने भूरे कोयले की खुदाई के लिए बनाया था। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘बैगर 288’ धरती पर सबसे भारी और बड़ी माइनिंग मशनी के तौर पर मशहूर रही है। इसके निर्माण में 100 मिलियन डॉलर (करीब 7 अरब रुपये) खर्च हुए।
इस मशीन को डिजाइन करने और इसके पार्ट्स बनाने में 5 वर्ष का समय लगा। जबकि पार्ट्स तैयार होने के बाद उन्हें जोड़ने में 5 साल और लगे। बता दें, 225 मीटर ऊंची और 96 मीटर लंबी इस मशीन का वजन 13,000 टन था।
इस दैत्याकार मशीन की मदद से जर्मनी के हमबाख जंगल से हर दिन 2 लाख 40 हज़ार टन कोयला खोदा जा सकता था। मतलब, इस मशीन में इतनी ताकत थी कि यह सिर्फ एक दिन में फुटबॉल के पूरे मैदान को 30 मीटर गहरा खोद सकती थी।
एक घंटे में सिर्फ 100 से 600 मीटर की दूरी तय करने वाली इस मशीन को 5 लोग मिलकर संभालते थे। यकीनन मशीन का आकार उसकी बिजली की भूख को बढ़ाता था। इसके ऑपरेशन में बाहरी स्रोत से 16.56 मेगावॉट बिजली की जरूरत पड़ती थी। माने, एक दिन में यह 160 कारों के बराबर ऊर्जा खर्च करती थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2001 के फरवरी महीने में इस मशीन को हमबाख जंगल से हटाकर छोटी मशीनें लाई गईं। लेकिन इसे वहां से हटाने के लिए भी डेढ़ करोड़ जर्मन मार्क खर्च करने पड़े। ‘बैगर 288’ को जंगल से टुकड़ों में बांटकर 22 किलोमीटर दूर ले जाया गया, जिसमें तीन हफ्ते का वक्त लगा और 70 कर्मचारियों की एक टीम ने ये काम किया।
इस लिस्ट में दूसरे नंबर पे आती है नासा की विशाल क्रॉलर ये दुनिया की सबसे भारी मशीन है जो महज एक किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है ये स्पेस क्राफ्ट को एक जगह से दूसरी जगह ले जाती है
जो 81 लाख 65 हजार किलो के वजन उठाने की क्षमता का है. यह चार मील लंबी यात्रा को 6-12 घंटे में पूरा करता है. इस अनोखे क्रॉलर का खुद का वजन 30 लाख किलो का है.
इस लिस्ट में पहले नंबर आती है लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर की लंबाई छब्बीस पौइंट सात किलोमीटर है
HC एक विशाल और जटिल मशीन है, जिसे कणों के अध्ययन के लिए बनाया गया है।
यह 27 किमी लंबा ट्रैक-लूप है
लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) एक बहुत बड़ा हैड्रॉन कोलाइडर है जो स्विट्जरलैंड के जेनेवा शहर के निकट फ्रांस सीमा पर स्थित है। यह विश्व के सबसे बड़े और ताकतवर हैड्रॉन कोलाइडर में से एक है और पार्टिकल फिजिक्स के क्षेत्र में महत्वपूर्ण एक्सपरिमेंटल यन्त्र माना जाता है।
LHC का प्रमुख उद्देश्य पार्टिकल फिजिक्स के अध्ययन के माध्यम से ब्रह्मांड के मौलिक संरचना और प्रक्रियाओं की समझ में मदद करना है। LHC में दो बड़े वैक्यूम ट्यूब्स के माध्यम से धीरे-धीरे चलाई जाती है, जहां हाइड्रोजन के धातुओं को आपस में टकराया जाता है।
यह एक महत्वपूर्ण विज्ञानिक और अनुसंधान संगठन, विश्व पार्टिकल फिजिक्स समुदाय (CERN) द्वारा प्रबंधित है।

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