गुलाम भारत का क्रांति गीत कैसे बना आजाद बांग्लादेश का राष्ट्रगान?

बांग्लादेश की स्वतंत्रता और उसका राष्ट्रीय गान ‘आमार शोनार बांग्ला’ का इतिहास भारत के स्वदेशी आंदोलन से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह गीत गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था, जो अंग्रेजों के विभाजन के फैसले के विरोध में बंगाल की एकता और स्वतंत्रता की भावना को प्रकट करता था। इस लेख में, हम जानेंगे कि यह गीत कैसे लिखा गया, इसकी पृष्ठभूमि क्या थी और यह बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान कैसे बना।


बंगाल विभाजन और स्वदेशी आंदोलन की पृष्ठभूमि

लॉर्ड कर्जन का विभाजन का फैसला

साल 1905 की बात है जब अंग्रेज वायसराय और गवर्नर जनरल लॉर्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन की घोषणा की। अंग्रेजों का तर्क था कि बंगाल का क्षेत्रफल और जनसंख्या बहुत बड़ी है, जिससे प्रशासन कठिन हो गया है। इस विभाजन के तहत बंगाल को पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में बांटा जाना था। पूर्वी हिस्सा मुसलमानों की बहुलता वाला था जबकि पश्चिमी हिस्सा हिन्दुओं की बहुलता वाला था।

लोगों का विरोध और स्वदेशी आंदोलन का प्रारंभ

लोगों को जल्द ही समझ में आ गया कि यह अंग्रेजों की ‘बांटो और राज करो’ की नीति का हिस्सा है। इसके विरोध में सात अगस्त 1905 को स्वदेशी आंदोलन की घोषणा की गई। इस आंदोलन के तहत विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया और लोगों को स्वदेशी वस्त्र और सामान का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया।


आमार शोनार बांग्ला की रचना

रवींद्रनाथ टैगोर का योगदान

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने विभाजन के खिलाफ हिंदू-मुस्लिम एकता बनाए रखने के लिए ‘आमार शोनार बांग्ला’ गीत की रचना की। 16 अक्तूबर 1905 को, जिस दिन विभाजन का आदेश लागू हुआ, टैगोर ने इसे राष्ट्रीय शोक दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को मजबूत करने के लिए एक-दूसरे को राखी बांधने का सुझाव दिया। इसी दौरान, ‘आमार शोनार बांग्ला’ गीत लिखा गया, जो बंगाल के लोगों के बीच एकता और स्वतंत्रता की भावना को प्रकट करता था।


गीत का विरोध प्रदर्शन में उपयोग

राष्ट्रीय शोक दिवस

16 अक्तूबर 1905 को, टैगोर के नेतृत्व में कोलकाता में विशाल जुलूस निकाला गया। इस जुलूस में लोग ‘आमार शोनार बांग्ला’ गाते हुए एक-दूसरे को राखी बांधते हुए चले। यह गीत विरोध प्रदर्शनों का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया और लोगों में एकता और स्वतंत्रता की भावना को मजबूत किया।


बांग्लादेश की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय गान

पाकिस्तान से स्वतंत्रता

भारत के विभाजन के बाद, पाकिस्तान के दो हिस्से बने: पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। पूर्वी पाकिस्तान में बांग्ला भाषी मुसलमानों की संख्या अधिक थी, जिन्हें पाकिस्तान के हुक्मरानों से अत्याचार का सामना करना पड़ता था। 1971 में, भारत की मदद से पूर्वी पाकिस्तान ने स्वतंत्रता प्राप्त की और बांग्लादेश बना। नए देश बांग्लादेश ने अपने राष्ट्रीय गान के रूप में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के लिखे ‘आमार शोनार बांग्ला’ को अपनाया।


Conclusion

‘आमार शोनार बांग्ला’ केवल एक गीत नहीं है, बल्कि यह भारत और बांग्लादेश की साझा सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह गीत स्वदेशी आंदोलन के दौरान बंगाल के लोगों के बीच एकता और स्वतंत्रता की भावना को प्रकट करता था। बाद में, यह बांग्लादेश की स्वतंत्रता का प्रतीक बन गया। इस गीत ने हिंदू-मुस्लिम एकता को प्रकट किया और बंगाल के विभाजन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज, यह बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान है और इस गीत की गूंज दोनों देशों के बीच एक गहरा सांस्कृतिक संबंध प्रकट करती है।

आमार शोनार बांग्ला: FAQ

आमार शोनार बांग्ला क्या है?

आमार शोनार बांग्ला बांग्लादेश का राष्ट्रगान है, जिसे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था।

आमार शोनार बांग्ला कब लिखा गया था?

यह गीत 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध के समय लिखा गया था।

बंगाल विभाजन क्या था?

बंगाल विभाजन 1905 में अंग्रेजों द्वारा बंगाल को पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में बांटने का निर्णय था।

बंगाल विभाजन का उद्देश्य क्या था?

अंग्रेजों का उद्देश्य विभाजन के जरिए बंगाल के लोगों को बांटना और शासन करना था।

स्वदेशी आंदोलन क्या था?

स्वदेशी आंदोलन 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन था।

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने आमार शोनार बांग्ला क्यों लिखा?

टैगोर ने यह गीत हिंदू-मुस्लिम एकता बनाए रखने और विभाजन के खिलाफ विरोध के रूप में लिखा था।

राखी पूर्णिमा और बंगाल विभाजन का क्या संबंध है?

16 अक्तूबर 1905 को राखी पूर्णिमा के दिन बंगाल विभाजन का निर्णय लागू हुआ, तब टैगोर ने हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक रूप में राखी बांधने का आह्वान किया।

आमार शोनार बांग्ला का क्या महत्व है?

यह गीत बंगाल के विभाजन के खिलाफ संघर्ष और हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है, और अब बांग्लादेश का राष्ट्रगान है।

बांग्लादेश का गठन कब हुआ?

बांग्लादेश का गठन 1971 में भारत की मदद से पाकिस्तान से आजादी के बाद हुआ।

आमार शोनार बांग्ला बांग्लादेश का राष्ट्रगान कब बना?

1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद इसे राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया।

आमार शोनार बांग्ला गीत का प्रमुख संदेश क्या है?

इस गीत का प्रमुख संदेश बंगाल की समृद्धि, शांति और हिंदू-मुस्लिम एकता है।

आमार शोनार बांग्ला की रचना किस शैली में की गई है?

इस गीत की रचना बांग्ला भाषा में की गई है।

आमार शोनार बांग्ला के लेखक कौन थे?

आमार शोनार बांग्ला के लेखक गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर थे।

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर कौन थे?

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर एक प्रसिद्ध भारतीय कवि, लेखक, और नोबेल पुरस्कार विजेता थे।

आमार शोनार बांग्ला का अर्थ क्या है?

इसका अर्थ है ‘मेरा सुनहरा बंगाल’।

बंगाल विभाजन का विरोध कैसे हुआ?

बंगाल विभाजन के विरोध में स्वदेशी आंदोलन और वंदे मातरम् गीत का उपयोग किया गया।

आमार शोनार बांग्ला कैसे गाया जाता है?

इस गीत को बांग्ला भाषा में पूरे उत्साह और गर्व के साथ गाया जाता है।

बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में भारत की भूमिका क्या थी?

भारत ने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में बांग्लादेश का समर्थन किया और उसकी स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान कब गाया जाता है?

यह गान बांग्लादेश के राष्ट्रीय और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गाया जाता है।

क्या आमार शोनार बांग्ला के किसी और भाषाओं में अनुवाद है?

हां, इस गीत का अनुवाद कई भाषाओं में किया गया है।

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