बच्चों को रोज करवाएं सूर्य नमस्कार, दिमाग बनेगा तेज-तर्रार, मिलेंगे ये भी फायदे

परिचय

सूर्य नमस्कार, योग की एक महत्वपूर्ण क्रिया है जो मुख्यतः सोलह आसनों का एक समूह है, जिन्हें एक के बाद एक क्रम में किया जाता है। इसका उद्गम प्राचीन भारत में हुआ था, और इसे सूर्य को नमन करने के लिए प्राचीन योगियों द्वारा विकसित किया गया था। इसके ऐतिहासिक दस्तावेज़ बताते हैं कि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण साधन है।

सूर्य नमस्कार बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अत्यंत प्रभावी सिद्ध हुआ है। नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से संपूर्ण शरीर का व्यायाम होता है, जिससे मांसपेशियों की ताकत और लचीलापन बढ़ता है। इन आसनों का संयोजन न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाता है, बल्कि मानसिक शांति और ध्यान की क्षमता में भी सुधार करता है।

इतिहास गवाह है कि यह योग मुद्रा न केवल शारीरिक विकास के लिए, बल्कि मानसिक संतुलन और एकाग्रता को बेहतर बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। बच्चों के मानसिक विकास में वृद्धि के लिए सूर्य नमस्कार विशेष रूप से उपयोगी है। यह उनके मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और उन्हें दिमागी तौर पर तेज-तर्रार बनाता है।

सूर्य नमस्कार में श्वास-प्रश्वास का सही सामंजस्य बच्चों के स्फूर्ति और ऊर्जा के स्तर को बनाए रखता है। इसके साथ ही, यह तनाव को कम करता है और एक सकारात्मक मानसिक रूपरेखा स्थापित करता है। इसलिए, बच्चों को नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करवाने से उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों दृष्टिकोणों से लाभ प्राप्त होता है।

सूर्य नमस्कार के शारीरिक लाभ

सूर्य नमस्कार, जिसे योग का एक संपूर्ण व्यायाम माना जाता है, बच्चों के शारीरिक विकास के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। यह तन और मन दोनों को मजबूत बनाने का एक प्रभावी साधन है। प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से बच्चों की शारीरिक ताकत में वृद्धि होती है। इसी के साथ उनके मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती भी बढ़ती है। यह बच्चों को पौष्टिकता प्रदान करने वाले और मल्टीविटामिन जैसे अनेक लाभ देते हुए उनकी शारीरिक क्षमता में सुधार करता है।

लचीलापन भी सूर्य नमस्कार का एक मुख्य लाभ है। इस व्यायाम की विभिन्न आसनों की श्रृंखला बच्चों के शरीर को लचीला बनाती है। यह लाभ बच्चों की रोजमर्रा की गतिविधियों को और भी सहज और दर्दरहित बना सकता है। इसके अलावा, बच्चों का मोटापा भी सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से कम किया जा सकता है। वसा को जलाने में सक्षम ये आसन बच्चों के लिए वजन प्रबंधन में सहायक होते हैं।

सूर्य नमस्कार शारीरिक विकास को भी सहायता प्रदान करता है। इसे नियमित रूप से करने से ऊंचाई में विकास और हृदय-फेफड़ों की स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। यह बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे वे बीमारियों से लड़ने में अधिक सक्षम बनते हैं।

इस प्रकार, सूर्य नमस्कार विभिन्न शारीरिक लाभों का एक समग्र पैकेज है जो बच्चों को मजबूत, स्वस्थ और ऊर्जावान बनाता है। उनके शारीरिक विकास और स्वास्थ्य में यह अभ्यास एक अनिवार्य भूमिका निभा सकता है।

मानसिक लाभ

सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योग विधि है, जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव विशेष रूप से उल्लेखनीय है। सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से बच्चों की ध्यान शक्ति और मानसिक एकाग्रता में सुधार होता है।

योग और ध्यान तकनीकों के संयोजन से सूर्य नमस्कार मस्तिष्क की कठिनाईयों को दूर करने में सहायक सिद्ध होता है, जिससे बच्चों में तेज़-तर्रार सोच और मानसिक शक्ति का विकास होता है। इसके अतिरिक्त, यह अभ्यास बच्चों को मानसिक शांति प्रदान करता है, जो कि आज के चुनौतीपूर्ण और प्रतिस्पर्धात्मक युग में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सूर्य नमस्कार के दौरान सांस नियंत्रण और शारीरिक मुद्राओं के समेकित अभ्यास से, बच्चों में तनाव और चिंता की भावनाओं को कम किया जा सकता है, जिससे वे बहतर निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। ध्यान और गहरी सांस लेने की तकनीकों का सूर्य नमस्कार में समावेश ध्यान केंद्रित करने और मन को शांत करने में मददगार होता है।

अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि जिन बच्चों ने सूर्य नमस्कार को अपने दैनिक जीवन में शामिल किया, उनमें बेहतर मेमोरी और संज्ञानात्मक क्षमताएं विकसित हुईं। यह योगासन न्यूरोप्लास्टिसिटी को भी बढ़ावा देता है, जिससे मस्तिष्क की लचीलापन और नई चीजें सीखने की क्षमता में सुधार होता है।

अतः मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने और बच्चों को एक संतुलित और खुशहाल जीवन प्रदान करने के लिए सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास अत्यंत उपायोगी है। यह उन्हें ना सिर्फ मानसिक शांति और ध्यान की शक्ति प्रदान करता है, बल्कि मस्तिष्क की विभिन्न क्षमताओं को भी उन्नत करता है।

सूर्य नमस्कार कैसे करें

सूर्य नमस्कार की विधि को समझने के लिए इसे 12 मुख्य मुद्राओं में विभाजित किया गया है। प्रत्येक मुद्रा के अपने विशेष लाभ होते हैं और श्वास-प्रश्वास का सही तरीका अपनाने से इनका प्रभाव और भी बढ़ जाता है। आइए, इस प्रक्रिया को विस्तार से समझते हैं:

1. प्रणामासन (प्रार्थना मुद्रा): सबसे पहले ताड़ासन की स्थिति में खड़े हों और अपनी हथेलियों को छाती के सामने जोड़ते हुए प्रार्थना मुद्रा में आ जाएं।

2. हस्त उत्तानासन: गहरी सांस लें और हाथों को ऊपर की ओर उठाते हुए पीछे की ओर झुकें।

3. पाद हस्तासन: सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और हाथों को पैरों के पास जमीन पर रखें।

4. अश्व संचालना (घुटना उठाना): दाहिने पैर को पीछे ले जाएं और बाएं पैर का घुटना मोड़ें, हाथ जमीन पर रखें। सिर को ऊपर की ओर उठाएं।

5. दंडासन: सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को पीछे ले जाएं और शरीर को सीधा रखें, जैसे एक लकड़ी की चादर।

6. अष्टांग नमस्कार: सांस छोड़ते हुए शरीर को जमीन की ओर लाएं। केवल छाती, माथा और घुटनों को जमीन पर रखें, शेष शरीर ऊपर।

7. भुजंगासन: गहरी सांस लेते हुए ऊपरी शरीर को उठाएं और पीठ को पीछे की ओर मोड़ें।

8. पर्वतासन: सांस छोड़ते हुए शरीर को उल्टा ‘V’ आकार में रखें, नीचे की ओर झुकें।

9. अश्व संचालना (पूर्व स्थिति में वापसी): दाहिने पैर को आगे लाएं और बाएं पैर का घुटना मोड़ें। सिर को ऊपर की ओर उठाएं।

10. पाद हस्तासन (पूर्व स्थिति में वापसी): बाएं पैर को भी आगे लाएं और फिर से धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें।

11. हस्त उत्तानासन (पूर्व स्थिति में वापसी): शरीर को सीधा करें और हाथों को ऊपर की ओर उठाते हुए पीछे की ओर झुकें।

12. ताड़ासन (संवेदन स्थिति): सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे लाएं और ताड़ासन की स्थिति में खड़े हो जाएं।

इस प्रक्रिया का समुचित अभ्यास बच्चों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है। श्वास-प्रश्वास का सही तरीका अपनाने से सूर्य नमस्कार के लाभ और भी बढ़ जाते हैं। नियमित अभ्यास से दिमाग की तीव्रता और तंदरूस्ती में सुधार आ सकता है।

सावधानियाँ और सुझाव

सूर्य नमस्कार करना बच्चों के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है, लेकिन इसे करते समय कुछ सावधानियों और सुझावों का पालन आवश्यक है। सबसे पहले, यह सुनिश्चित करें कि बच्चे सूर्य नमस्कार करने के लिए सही समय और स्थान का चयन करें। सामान्यतः इसे सुबह के समय खाली पेट करना उचित माना जाता है। इससे शरीर और मस्तिष्क दोनों को अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।

अगली बात, बच्चों को हमेशा सही तरीके से सूर्य नमस्कार के आसनों का अभ्यास करना चाहिए ताकि किसी प्रकार की घायल या चोट से बचा जा सके। इसके लिए, किसी अनुभवी योग शिक्षक की मदद लेना उचित होता है। योग शिक्षक बच्चों को हर आसन को सही तरीके से करने की विधि सिखाते हैं और गलतियों को सुधारने में सहायक होते हैं।

सूर्य नमस्कार करते समय सही पोज़िशन और संतुलन बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है ताकि बच्चों को कोई अंदुरुनी या बाहरी चोट का सामना न करना पड़े। सही वज़न और संतुलन पर ध्यान देना आवश्यक होता है क्योंकि गलत वज़न वितरण से जोड़ों और मांसपेशियों पर अप्राकृतिक दबाव पड़ सकता है।

अंत में, बच्चों को योग अभ्यास के दौरान उनकी अपनी क्षमता और गति का सम्मान करना चाहिए। अतिशयोक्ति करने और सीमा से अधिक अभ्यास करने से बचना चाहिए। प्रत्येक बच्चे की शारीरिक क्षमता अलग होती है, इसलिए उनकी गति और सहनशीलता के हिसाब से उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि वे बिना किसी तनाव के योग से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें।

अनुकूल समय और स्थान का चयन

सूर्य नमस्कार के अभ्यास के लिए अनुकूल समय और स्थान का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह योगासन प्रातःकाल यानी सुबह के समय करने की सलाह दी जाती है, जब वातावरण शांत और शुद्ध होता है। प्रातःकाल का समय इसलिए भी उचित है क्योंकि इस समय हमारा शरीर स्वाभाविक रूप से अत्यधिक ऊर्जा से भरपूर होता है और यह एक ताजगी भरी शुरुआत देने में सहायक होता है।

प्रातःकाल के अलावे, आप इसे शाम के समय भी कर सकते हैं जब सूर्यास्त से पहले की शांति और तापमान आपके अभ्यास को आरामदायक बनाते हैं। शाम का समय भी दिनभर की थकान को दूर करके मन और शरीर को शांति देने का अवसर प्रदान करता है।

सूर्य नमस्कार करने के लिए स्थान का चयन भी ध्यान देने योग्य है। खुले और हवादार स्थान में यह आसन करना अधिक उपयुक्त होता है। खुले स्थान में प्राकृतिक हवा शरीर में जीवन शक्ति का संचार करती है और पर्यावरण की ताजगी मिलती है। यदि आपके पास बगीचा या छत उपलब्ध नहीं है, तो एक ऐसा कमरे चुनें जिसमें पर्याप्त वेंटिलेशन हो और हवा का आदान-प्रदान हो सके।

इसके अलावा, सूर्य की दिशा को भी ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। सूर्य नमस्कार को पूर्व दिशा में, सूर्योदय के समय, करना सर्वाधिक फायदेमंद माना जाता है। पूर्व दिशा की ऊर्जा और सकारात्मता आपके अभ्यास को और प्रभावी बनाती है। अगर पूर्व दिशा उपलब्ध नहीं है तो आप दक्षिण दिशा में भी इसका अभ्यास कर सकते हैं। सूर्य की ऊर्जा से प्राप्त विटामिन डी आपकी हड्डियों और इम्यून सिस्टम के लिए लाभदायक होता है।

सूर्य नमस्कार के वैज्ञानिक प्रमाण

सूर्य नमस्कार के स्वास्थ्य लाभों को समझने के लिए विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययन और अनुसंधान का सहारा लिया गया है। आधुनिक विज्ञान ने इसके कई फिजिकल और मेंटल बेनिफिट्स को सत्यापित किया है। सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योग अभ्यास है जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को संवारता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी मजबूत करता है।

फिजिकल बेनिफिट्स की बात करें तो एक अध्ययन में प्रणवान और सहकर्मियों (2015) द्वारा पाया गया कि नियमित सूर्य नमस्कार अभ्यास से कार्डियोवस्कुलर फिटनेस, मस्कुलोस्केलेटल स्ट्रेंथ और फ्लेक्सिबिलिटी में सुधार होता है। इस अध्ययन ने यह भी दिखाया कि सूर्य नमस्कार मेटाबोलिज्म को बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका है, जिससे वजन को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है।

मेंटल हेल्थ के संदर्भ में, सूर्य नमस्कार के मानसिक लाभों पर भी कई रिसर्च हुए हैं। मनोज और सहकर्मियों (2013) के अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया कि नियमित सूर्य नमस्कार से तनाव, चिंता और डिप्रेशन के स्तर में महत्वपूर्ण कमी देखी गई है। योगा अभ्यास परिस्थिति जन्य अवसाद और चिंता के उपचार में प्रभावी साबित हुआ है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास मस्तिष्क की ध्यान और समझ की क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे बच्चों में कॉग्निटिव डेवलपमेंट होता है।

इसके अलावा, सूर्य नमस्कार एड्रेनल ग्लैंड्स को सक्रिय करता है, जिससे मानसिक स्थिरता और शांति मिलती है। एक और अध्ययन ने यह साबित किया कि सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास स्मरण शक्ति और कंसंट्रेशन को भी बढ़ाता है, जिससे बच्चों का अकादमिक प्रदर्शन सुधरता है।

इन सब वैज्ञानिक अध्ययनों और अनुसंधानों से यह साबित होता है कि सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए अत्यंत लाभदायक है। इनके माध्यम से न केवल उनका शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है, बल्कि उनका दिमाग भी तेज-तर्रार बनता है।

निष्कर्ष

सूर्य नमस्कार एक अत्यंत प्रभावी योग अभ्यास है, जो बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी नियमितता न केवल शरीर की लचीलापन और शक्ति को बढ़ाती है, बल्कि मनोबल और ध्यान को भी मजबूत करती है। आजकल की तेज-तर्रार जीवनशैली में, बच्चों के लिए सही मार्गदर्शन और संगठित गतिविधियों की आवश्यकता होती है, जो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाए रख सके।

इस प्रसिद्ध योगमुद्रा के माध्यम से, बच्चों में अनुशासन, आत्मविश्वास और उत्तम स्वास्थ्य की नींव स्थापित होती है। यह ध्यान केंद्रन के साथ-साथ शैक्षिक प्रदर्शन में भी सुधार कर सकता है, जिससे वे अध्ययन में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा, सूर्य नमस्कार मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जिससे बच्चे तनावमुक्त और सुखद अनुभव कर सकते हैं।

अतः अद्वितीय शारीरिक और मानसिक लाभों के कारण, सूर्य नमस्कार को बच्चों की दैनिक दिनचर्या का एक अभिन्न हिस्सा बनाना अत्यंत आवश्यक है। अभिभावकों और शिक्षकों के सहयोग से इसे प्रोत्साहित करें, जिससे बच्चों का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके। इस सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाकर, हम भविष्य के स्वस्थ, आत्मविश्वासी और सक्षम नागरिक तैयार कर सकते हैं।

सूर्य नमस्कार से जुड़े 21 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

सूर्य नमस्कार क्या है?

सूर्य नमस्कार योग की एक महत्वपूर्ण क्रिया है जिसमें सोलह आसनों का समूह होता है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।

सूर्य नमस्कार कब किया जाना चाहिए?

सूर्य नमस्कार को सुबह खाली पेट करना सबसे अच्छा होता है, जब वातावरण शांत और शुद्ध होता है।

बच्चों के लिए सूर्य नमस्कार क्यों आवश्यक है?

सूर्य नमस्कार बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह उनकी शारीरिक ताकत, लचीलापन, और मानसिक शांति को बढ़ाता है।

सूर्य नमस्कार के क्या लाभ हैं?

सूर्य नमस्कार के लाभों में शारीरिक शक्ति, लचीलापन, मानसिक एकाग्रता, तनाव में कमी, और संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार शामिल है।

क्या सूर्य नमस्कार से वजन कम होता है?

हाँ, सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास वसा को जलाने में सहायक होता है, जिससे वजन कम किया जा सकता है।

क्या सूर्य नमस्कार से मानसिक तनाव कम होता है?

हाँ, सूर्य नमस्कार के दौरान श्वास-प्रश्वास और ध्यान के समेकित अभ्यास से मानसिक तनाव और चिंता कम की जा सकती है।

सूर्य नमस्कार कितने चरणों में किया जाता है?

सूर्य नमस्कार को 12 मुख्य मुद्राओं में विभाजित किया गया है, जिनका नियमित और सही तरीके से अभ्यास किया जाता है।

क्या सूर्य नमस्कार करने से ऊँचाई में वृद्धि हो सकती है?

हाँ, सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से बच्चों की ऊँचाई में वृद्धि हो सकती है और हृदय-फेफड़ों की स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

क्या सूर्य नमस्कार को शाम के समय किया जा सकता है?

हाँ, सूर्य नमस्कार को शाम के समय भी किया जा सकता है, विशेषकर सूर्यास्त से पहले, जब वातावरण शांति और ठंडक प्रदान करता है।

सूर्य नमस्कार के दौरान किस दिशा की ओर मुंह करना चाहिए?

सूर्य नमस्कार को पूर्व दिशा की ओर, सूर्योदय के समय, करना सबसे अच्छा माना जाता है, ताकि आप सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा का लाभ उठा सकें।

सूर्य नमस्कार के लिए कौन सा स्थान सबसे उचित होता है?

सूर्य नमस्कार के लिए खुला, हवादार और शांत स्थान सबसे उचित होता है, ताकि अभ्यास के दौरान प्राकृतिक ऊर्जा का लाभ मिल सके।

सूर्य नमस्कार कितने समय तक करना चाहिए?

सूर्य नमस्कार का अभ्यास 5 से 10 मिनट तक किया जा सकता है, लेकिन धीरे-धीरे समय बढ़ाया जा सकता है, ताकि शरीर और मन दोनों का अधिकतम लाभ हो।

क्या सूर्य नमस्कार का अभ्यास बच्चों को सिखाया जा सकता है?

हाँ, सूर्य नमस्कार का अभ्यास बच्चों को सिखाया जा सकता है, बशर्ते वे इसे सही तरीके से और अपने शारीरिक क्षमता के अनुसार करें।

क्या सूर्य नमस्कार से हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है?

हाँ, सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास हृदय और फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार लाता है, जिससे कार्डियोवस्कुलर फिटनेस बेहतर होती है।

क्या सूर्य नमस्कार करने से मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है?

हाँ, सूर्य नमस्कार के अभ्यास से मांसपेशियों की ताकत और लचीलापन दोनों में वृद्धि होती है, जिससे शरीर मजबूत बनता है।

क्या सूर्य नमस्कार से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है?

हाँ, सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने में अधिक सक्षम होता है।

क्या सूर्य नमस्कार का अभ्यास गर्भावस्था के दौरान किया जा सकता है?

गर्भावस्था के दौरान सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। कुछ विशेष मुद्राओं को गर्भावस्था के दौरान करने से बचना चाहिए।

क्या सूर्य नमस्कार के लिए विशेष प्रकार के कपड़े पहनने चाहिए?

सूर्य नमस्कार के लिए आरामदायक और लचीले कपड़े पहनना चाहिए, ताकि शरीर के सभी हिस्सों को आसानी से हिलाने और खींचने में सहूलियत हो।

क्या सूर्य नमस्कार से मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है?

हाँ, सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास मानसिक शांति और संतुलन को बढ़ावा देता है, जिससे तनाव और चिंता में कमी आती है।

क्या सूर्य नमस्कार का अभ्यास वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुरक्षित है?

हाँ, सूर्य नमस्कार का अभ्यास वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुरक्षित है, लेकिन उन्हें इसे अपने शारीरिक क्षमता के अनुसार धीमी गति से करना चाहिए और किसी विशेषज्ञ की निगरानी में।

सूर्य नमस्कार के दौरान कौन सी श्वास-प्रश्वास तकनीक अपनाई जानी चाहिए?

सूर्य नमस्कार के दौरान श्वास और प्रश्वास का समन्वय बहुत महत्वपूर्ण होता है। प्रत्येक मुद्रा के साथ श्वास लेने और छोड़ने की सही तकनीक अपनानी चाहिए।

क्या सूर्य नमस्कार का अभ्यास सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं?

हाँ, सूर्य नमस्कार का अभ्यास सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं, बशर्ते वे इसे सही तरीके से और अपने शारीरिक क्षमता के अनुसार करें।

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