Chandrayaan 3 के रोवर प्रज्ञान ने भेजी भयानक फ़ोटो Chandrayaan Rover on moon surface ISRO
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Chandrayaan 3 के रोवर प्रज्ञान ने भेजी भयानक फ़ोटो Chandrayaan Rover on moon surface ISRO
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किस बला को कहते हैं एलियन क्या चाँद पर हो सकते हैं एलियन यदि हाँ तो क्या एलियन लैंडर पर हमला भी कर सकते हैं और क्यों सेवन्टी फाइव परसेंट मून मिशन हो जाते हैं फेल चाँद के खौफनाक माहौल में कैसे सर्वाइव करेगा भारत का चंद्रयान
दोस्तों चाँद पर मिशन भेजने का सक्सेस सिर्फ सत्ताईस परसेंट है यानी की चाँद पर भेजे गए सौ में से सिर्फ सत्ताईस मिशन ही सफल हो पाते हैं, जबकि तिहत्तर मिशन चाँद पर पहुंचने के रास्ते पर या लैंडिंग के दौरान फेल हो जाते हैं, जबकि मंगलग्रह चाँद से ज्यादा दूर होने के बावजूद वहाँ भेजेगा मिशन का सक्सेस रेट फॉर्टी परसेंट है
ऐसे में इन मिशन्स के फेल या पास होने में से मुख्य तीन चीजें जुड़ी होती हैं वहाँ जाने का रास्ता लर्निंग और रिसोर्स प्रोसैस सबसे पहले जाने के रास्ते की बात करें तो मंगल ग्रह दूर होने के कारण वह स्पेस क्राफ्ट को भेजने के लिए लंबा हाइवे मौजूद है जीस पर चलते हुए कोई भी स्पेस ग्राफ आसानी से मंगल पर पहुँच जाता है, जबकि चाँद के पिछले हिस्से यानी की जहाँ पर चंद्रयान तीन गया है वहाँ जाना काफी ज्यादा कठिन होता है क्योंकि सबसे पहले तो हम धरती पर बैठकर उस तरफ घूम रहे हैं
इस कारण क्राफ्ट से सही कम्यूनिकेशन नहीं बिठा पाते और कई बार किसी कम्यूनिकेशन गैप की वजह से स्पेस क्राफ्ट चाँद के कक्षा से बाहर निकल जाता है और मिशन धरा का धरा रह जाता है जैसे कि पिछले दिनों भारत से आगे निकलने की कोशीश में रूस ने अपना लूना ट्वेंटी फाइव स्पेस क्राफ्ट को डाइरेक्ट रास्ते से चाँद पर भेजा था और जब वो हंड्रेड किलोमीटर की कक्षा में घूम रहा था तभी उसकी ऑर्बिट छोटी करने के लिए रूसी स्पेस एजेंसी ने उसके इंजिन ज्यादा फायर कर दिए और ऑर्बिट पकड़ने की बजाय वो अपनी ऑर्बिट से भटक गया और एकाएक चाँद पर क्रैश हो गया
इसी के साथ रूस का भारत से आगे निकलने का सपना भी चाँद की मिट्टी में मिल गया लेकिन हमारे चंद्रयान तीन इस रास्ते को पार करके चाँद तक पहुंचने में जीत हासिल कर लिए अब बात करें लैन्डिंग प्रक्रिया की तो जैसा की आप जानते हैं मंगल ग्रह पर वातावरण है इसलिए जब भी कोई लैंडर मंगल की सतह पर लैंड होने के लिए वातावरण में प्रवेश करता है तो घर्षण की वजह से उसकी रफ्तार कम होने लगती है और हवाएं चलने की वजह से आखिर में पैराशूट भी खोला जाता है इस वजह से
मंगल पर लैंडिंग करना आसान हो जाता है जबकि चाँद पर बिल्कुल पतला सा वातावरण मौजूद है ऐसे में स्पेस क्राफ्ट को अपनी रफ्तार खुद ही कम करनी होती है और अगर वो नहीं हो सकी तो क्रैश लैंडिंग हो जाती है इसका सबसे बड़ा उदाहरण है हमारा पिछला मून मिशन चंद्रयान दो इसमें चाँद की सतह से 2.1 किलोमीटर की उचाई पर हमारा चंद्रयान दो से विक्रम लैंडर का संपर्क टूट गया था और स्पीड कंट्रोल ना होने की वजह से वो चाँद की सतह पर टकरा जाता है
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