Chandrayaan 3 के सामने आई नई मुसीबत | ISRO
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Chandrayaan 3 के सामने आई नई मुसीबत | ISRO
हमारा उपग्रह मून उसके पास किसी भी प्रकार का कोई एटमॉस्फियर नहीं है या बेहद पतला और ग्रैविटी भी बेहद कम है तो बात हो रही है यहाँ पर की चंद्रयान 3 पर हो सकती है पत्थरों की बारिश
देखिए हर रोज़ 33 मीट्रिक टन उल्कापिंड के छोटे छोटे टुकड़े ये धरती से टकराने के लिए धरती के एटमॉस्फियर में इंटर करते हैं
ये हमें पता नहीं चल पाता कारण इसका ये है की धरती के पास एक स्ट्रॉन्ग एक मोटा एटमॉस्फेरिक शील्ड हैं तो ये नीचे गिरते वक्त धरती की ग्रेविटी बहुत तेज़ गति से खींचती और इनको रोकने का काम करती है धरती की सतह के ऊपर मौजूद ऐटमोस्फेरिक एअर
उसमें जो गैस होती है माइक्रो राइट को उसे चीरते हुए निकलना पड़ता है
इसकी वजह से धीरे धीरे करके वातावरण में ही नीचे गिरने से पहले ये सारे मेट्रो राइड हवा में ही खाक हो जाते हैं तो पृथ्वी तो एकदम से सेफ है
चंद्रमा के पास ना ही स्ट्रॉन्ग ग्रेविटेशनल फील्ड है और ना ही चंद्रमा के पास में उसका खुद का एक पॉवरफुल अटमॉस्फियर है
तो इनकी गति बेहद ज्यादा होती है तो उसकी जो स्पीड है वो 20 किलोमीटर प्रति सेकंड से 72 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से आते हैं ऐसे में अगर कोइ माइक्रो राइट चंद्रयान 3 से टकरा गया तो क्या होगा
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