Chandrayaan 3 ने उड़ाई नासा की नींद जाते ही कर दी बड़ी खोज ISRO Chandrayaan 3 Update Rover
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Chandrayaan 3 ने उड़ाई नासा की नींद जाते ही कर दी बड़ी खोज ISRO Chandrayaan 3 Update Rover
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22 अक्टूबर साल 2008 भारत के द्वारा चंद्रयान वन मिशन लॉन्च किया जाता है चाँद पर पहुँच कर ये स्पेस क्राफ्ट कुछ ऐसी चीजों की खोज करता है जिसकों लेकर दुनियाभर के अखबारों में हेडलाइन सब जाती है चंद्रयान वन पहली बार दुनिया के सामने चाँद पर पानी होने का सबूत लाता है खास तौर से कहा जाए तो चाँद के साउथ पोल के इलाकों में पानी मौजूद है इस खबर को देखकर दुनियाभर के देशों में चाँद को एक्स्प्लोर करने का पागलपन फिर से जाग उठता है अमेरिका और चीन के द्वारा नियमित रूप से चाँद पर मिशन भेजे जाते हैं
इजरायल भी कोशीश करता है चाँद पर सॉफ्ट लैन्डिंग करने की इसके अलावा जापान, यूरोप और रूस द्वारा भी कई लूनर मिशन प्लैन किए जाते हैं, लेकिन आज पूरी दुनिया की नजर है भारत के चंद्रयान मिशन तक आखिर कौन सी नई खोज चंद्रयान थ्री करेगा, जानते हैं आज के इस वीडियो में
दोस्तों चाँद पर भेजे जाने वाले मिशन चार से पांच तरह के होते हैं साल उन्नीस सौ पचास में पहली बार इंसानों ने चाँद पर मिशन भेजने शुरू किए थे और तब से लेकर अब तक तकनीक जैसे जैसे विकसित होती गई इन मिशन की उलझन उतनी ही ज्यादा बढ़ती गई सबसे पहले सिंपल टाइप के मिशन होते हैं जिनका नाम होता है फ्लाईबाई मिशन इसमें एक स्पेसक्राफ्ट को भेजा जाता है जो चाँद के पास से गुजरते हुए और चाँद की तस्वीर लेते हुए वो आगे निकल जाता है अक्टूबर 1959 में जब सोवियत यूनियन लो ना थ्री लॉन्च करता है तब हमें पहली बार चाँद की एक फोटो देखने को मीलती है
ये पहली फोटो चाँद के डार्क साइड की ली गई थी, जो धरती से हमें दिखती नहीं है आज के दिन फ्लाईबाई मिशन तभी किए जाते हैं जब किसी और मिशन के रास्ते में चाँद दिख रहा होता है लेकिन अगर चाँद पर ही रिसर्च करना हो तो आती है अगली कैटगरी की मिशन जिन्हें ऑर्बिटर मिशन कहा जाता है इसमें स्पेस क्राफ्ट चाँद के पास आकर चाँद के ऑर्बिट में गोल गोल चक्कर लगाता है इसे लूनर ऑर्बिट कहा जाता है और यहाँ से चाँद के सर्फेस और एटमॉस्फियर को स्टडी किया जाता है
इसके बाद आती है अगली इम्पैक्ट मिशन की ये मिशन ऑर्बिटर मिशन का स्टेज होता है यहाँ मेन स्पेसक्राफ्ट चाँद के चारों तरफ चक्कर लगाता रहता है, लेकिन उस स्पेस क्राफ्ट से एक हिस्सा अलग होकर चाँद पर जाकर क्रैश लैंड करता क्योंकि क्रैश लैंडिंग के वक्त ये मून से इम्पैक्ट कर रहा है इसीलिए इस मिशन को इम्पैक्ट मिशन कहा जाता है और चंद्रयान वन भी हमारा इम्पैक्ट के मिशन चंद्रयान वन मिशन के मून इंपैक्ट में एक इन्स्ट्रुमेंट लगा था चंद्र ऐल्टिट्यूड कॉंपोज़िशन एक्स्प्लोरर शोर्ट मेसेजेस कहा जाता था
और इसी इन्स्ट्रुमेंट की मदद से हमें पता चला की चाँद पर पानी मौजूद है दोस्तों चंद्रयान वन में एक ऑर्बिटर भी था उस समय वहा मौजूद कुछ मिट्टी हवा में उड़ी और उस मिट्टी को ऐनालाइज किया इस ने और इसी ऐनालाइज से कन्फर्म हुआ की चाँद की सतह पर भी पानी मौजूद है
चौथी कैटेगरी आती है मून मिशन के लैंडर मिशन यहाँ पर स्पेस क्राफ्ट के एक हिस्से को चाँद पर भेजा जाता है
जो हिस्सा चाँद पर लैंड करता है उसे लैंडर कहा जाता है ये काम करना काफी ज्यादा मुश्किल होता है अमेरिका और सोवियत यूनियन सॉफ़्ट लैन्डिंग करते वक्त पंद्रह बार फेल हुए थे आम तौर पर ये लैंडर काफी भारी होते हैं जो चाँद पर लैंड करने से चुक जाते है जैसे रुश का मिशन लूना ट्वेंटी फाइव करने वाला था
लेकिन अगर चाँद के ऊपर जाकर मूव करना हो तो अगली कैटेगरी आती है मून मिशन की जो है रोवर मिशन रबर एक तरह के छोटे रोबोट्स होते हैं
जिन पर पहिए लगे होते हैं ताकि ये लैंडर से बाहर निकलकर वहा पर मूव करे दोस्तों हमारा चंद्रयान मिशन भी एक मून मिशन है जो सक्सेस्स्फुल्ली चाँद पर लैंड हो गया है और ताजा अपडेट के अनुसार कल रात दस बज के पंद्रह मिनट पर हमारा प्रज्ञान रोवर बाहर निकलकर चाँद की सतह पर उतर चुका है लेकिन अगर हम चंद्रयान मिशन के कुछ डिटेल्स की बात करें तो
हमारा चन्द्रयान तीन चाँद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैन्डिंग कर चुका है और अब लैंडर विक्रम प्रज्ञान रोवर के साथ मिलकर रिसर्च करने में लगा हुआ है सॉफ्ट लैन्डिंग करने के बाद भारत दुनिया का चौथा देश बन गया
जिसने चाँद पर सॉफ्ट लैन्डिंग की और साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश है प्रज्ञान रोवर में इन्स्ट्रुमेंट लगे हुए हैं ये जानेगा कि कौन कौन से मिनरल्स चाँद की मिट्टी में मौजूद है और प्रज्ञान यह काम करेगा तो विक्रम लैंडर उसकी कुछ फोटो भी खींचता रहेगा और ये फोटो हमें जल्द ही देखने को मिलने वाला है
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