Chandrayaan 3 Soft Landing चंद्रयान 3 का रोमांचक सफर Rover Pragyan India moon Mission
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Chandrayaan 3 Soft Landing चंद्रयान 3 का रोमांचक सफर Rover Pragyan India moon Mission
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चन्द्रयान तीन के एल्गोरिदम ने आखिरी मौके पर दिखाया कमाल इस रोग की ऑटोमैटिक लैंडिंग तकनीक थी इतनी बेमिसाल, जिसे देखकर दुनिया भर में गूंजा हमारे देश भारत का नाम विक्रम लैंडर के सामने फेल हुए नासा, रूस और चीन के महंगे अंतरिक्ष यान दोस्तों बीस अगस्त के दिन रूस के लूना ट्वेंटी फाइव क्रैश के बाद पूरी दुनिया की नजर सिर्फ इसरो के चंद्रयान पर ही टिक्की हुई थी और हर तरफ विक्रम लैंडर की लैंडिंग को लेकर कौतूहल का माहौल
बना हुआ था चारों तरफ इसरो और चंद्रयान तीन की बातें चल रही थी इसी बीच इसरो ने इतनी बड़ी गुड न्यूज़ दे दी जिसे सुनकर हर भारतीय के आँखों में खुशी के आंसू छलक आए पूरी दुनिया में भारत की सफलता के गुणगान गाए जा रहे हैं जी हाँ दो हज़ार चौदह में द्वारा देखा हुआ सपना आज पूरा हो चुका है और चंद्रयान तीन के विक्रम लैंडर ने चाँद के दक्षिणी की पर सफल लैंडिंग करके ऐसा कमाल कर दिखाया है जो अमेरिका, चीन और रशिया जैसे बड़े देश भी नहीं कर पाएंगे तो कैसे थे इस मिशन के आखिरी बीस मिनट कैसे चंद्रयान मिशन में विक्रम लैंडर ने चखा सफलता का
जानने के लिए कुर्सी की पेटी बाद लीजिये चलिए हमारे साथ विक्रम लैंडर की लैंडिंग के रोमांचक सफर पर दोस्तों तेईस अगस्त के दिन पूरे भारत में टेंशन का माहौल छाया हुआ था और जैसे जैसे शाम करीब आ रही थी हम सभी की धड़कनें तेज होती जा रही थी, क्योंकि इसी शाम चंद्रयान तीन की लैंडिंग होने वाली थी इसरो के वैज्ञानिक को की कठिन परीक्षा होने वाली थी और यही शाम भारत की किस्मत लिखने वाली थी इसलिए शाम के पांच बजकर बीस मिनट पर जब इसरो ने चंद्रयान तीन की लैंडिंग का लाइव टेलीकॉस्ट शुरू किया तो एक सौ चालीस करोड़ भारतीय अपने मोबाइल और टीवी स्क्रीन के सामने
नज़रें गड़ाए बैठ गए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी साउथ अफ्रीका से इस रोग के साथ लिव जुड़ गए थे और सभी उस पल का इंतजार कर रहे थे जब विक्रम लैंडर की लैंडिंग शुरू होने वाली थी इंतज़ार के इन घड़ियों में हर एक पल एक घंटे के जैसा मालूम पड़ रहा था लेकिन आखिरी में वो पल आ ही गया जब विक्रम लैंडर की लैंडिंग शुरू होने वाली थी जिसे देखने के लिए सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोग उत्सुक थे और इस मिशन को लाइव देखने से भारत के दुश्मन देश यानी चीन और पाकिस्तान भी खुद को नहीं रोक पाए थे तो आखिर क्या हुआ आखिरी के उस बीस मिनटों में
जिसके बाद चंद्रयान तीन ने इतिहास रच दिया जानने के लिए चलिए चलते हैं विक्रम के साथ मून लैंडिंग के इस रोमांचक सफर पर तो शाम के करीब पांच बजकर चवालीस मिनट पर चंद्रयान तीन अपनी कक्षा में लैन्डिंग की तैयारी करते हुए छे हज़ार अड़तालीस किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दहाड़ते हुए आगे बढ़ रहा था तभी इसरो के मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स में बैठे चीफ ऐट सोमनाथ ने आखिरी बटन दबाया और इसके ए एल एस यानी ऑटोमैटिक लैन्डिंग सिक्वेन्स को ऐक्टिवेट कर दिया यानी कि अब विक्रम लैंडर अपने आप खुद को कंट्रोल करने वाला था और इसरो के वैज्ञानिक कर बस इस खूबसूरत नजारे को
जी हारने वाले थे तो इस कमांड के बाद विक्रम लैंडर ने तुरंत अपना कमाल दिखाना शुरू किया और अपनी और फिर छोड़ते हुए चाँद की तरफ बढ़ने के पहले चरण की ओर निकल पड़ा रफ ब्रेकिंग फेस दोस्तों लैन्डिंग केस पहले पड़ाव में विक्रम लैंडर ने तीस किलोमीटर की उचाई से चाँद की सतह की तरह पढ़ना शुरू किया और धीरे धीरे गोल चक्कर लगाते हुए ये नीचे उतरने लगा इस दौरान शुरुआत में इसकी रफ्तार छे हज़ार किलोमीटर प्रति घंटा थी, लेकिन इसके अपने चारों जिनको ऑन करके विपरीत दिशा में दबाव देने से धीरे धीरे रफ्तार कम होने लगी करीब ग्यारह मिनट तीस सेकंड के बाद इस अपनी रफ्तार को तेरह सौ किलोमीटर प्रति घंटा कर दिया था
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