ऑयल रिग वे संरचनाएँ हैं जो समुद्र से पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों को निकालने के लिए बनाई जाती हैं। ये रिग्स, जिन्हें ऑफशोर प्लेटफार्म भी कहा जाता है, ऊर्जा उद्योग के महत्वपूर्ण अंगों में गिनती होती हैं। ऑफशोर ड्रिलिंग का विकास औद्योगिक क्रांति के साथ हुआ, जब ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ने लगी और समुद्र के भीतर छुपे संसाधनों का दोहन आवश्यक हो गया।
ऑयल रिग के इतिहास की ओर देखे तो 19वीं सदी के उत्तरार्ध में पहला ऑफशोर ड्रिलिंग कार्य हुआ। समय के साथ, प्रौद्योगिकी में सुधार आया और अब अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। आजकल ऑयल रिग्स विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिन्हें आवश्यकताओं और समुद्री स्थितियों के अनुसार विभाजित किया जाता है। इनमें स्थिर प्लेटफार्म, मोबाइल ड्रिलिंग यूनिट्स, फ्लोटिंग प्रोडक्शन और स्टोर्ज यूनिट्स शामिल हैं।
ऑयल रिग्स की महत्वपूर्ण भूमिका के बिना आधुनिक समाज के लिए ऊर्जा सुरक्षा की कल्पना करना कठिन है। यह न केवल ऊर्जा उत्पादक हैं, बल्कि रोजगार और तकनीकी विकास के भी प्रमुख स्रोत हैं। इन रिग्स पर किए गए अन्वेषण कार्य न केवल ऊर्जा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे जुड़े अन्य उद्योग, जैसे परिवहन, निर्माण और सेवाएँ, भी लाभान्वित होते हैं।
ऑयल रिग्स की उन्नत तकनीक और निर्माण प्रक्रियाएँ समुद्री पर्यावरण के संरक्षण में भी योगदान देती हैं। हालांकि, यह कार्य विभिन्न चुनौतियों से भी भरा होता है, जिनका समाधान निकालना अत्यावश्यक होता है। इसीलिए ऑयल रिग्स के निर्माण में नई-नई तकनीकों और साधनों का निरंतर उपयोग और अनुसंधान जारी रहता है।
प्रारंभिक सर्वेक्षण और स्थान चयन
समुद्र में ऑयल रिग स्थापित करने की जटिल प्रक्रिया का पहला महत्वपूर्ण चरण है सही स्थान का चयन। सही स्थान चुनना समुद्री तल की गहरी जानकारी और उसकी स्थितियों पर निर्भर करता है। इस प्रक्रिया के लिए विशेषज्ञ टीम समुद्री तल का सर्वेक्षण करती है ताकि संभावित स्थानों की गणना की जा सके।
सबसे पहले, जियोलॉजिकल और जियोफिजिकल परीक्षणों द्वारा माइक्रो लेवल पर समुद्री तल की संरचना का अध्ययन किया जाता है। यह क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना का मात्रात्मक आँकलन करने में मदद करता है। जियोफिजिकल परीक्षण के दौरान समुद्री तल पर जियोलॉजिकल लेवर, तलछट की मोटाई, और संभावित तेल और गैस भंडार की जानकारी प्राप्त की जाती हैं।
उल्लेखनीय है कि इन परीक्षणों में अति संवेदनशील उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि सेस्मिक सर्वेक्षण उपकरण जो समुद्री तरंगों के संचरण और परावर्तन का अध्ययन करते हैं। इसके अलावा, मैग्नेटोमीटर और ग्रेविटी मीटर का उपयोग भी जमीनी बल और चुंबकीय क्षेत्र का आंकलन करने के लिए किया जाता है। यह उपकरण सामूहिक रूप से ऑयल रिजर्व की सही स्थिति और आकार की पहचान करने में सहायता प्रदान करते हैं।
इन सभी आंकड़ों को इकट्ठा करने के बाद, विशेषज्ञ टीम इनका विश्लेषण करती है और सर्वसम्मति से एक स्थान का चयन करती है। इस दौरान, पर्यावरणीय प्रभाव और सुरक्षा मानकों का भी गहन अध्ययन किया जाता है। समुद्री जीवन, जल प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय कारकों को ध्यान में रखकर ही अंतिम निर्णय लिया जाता है। आवश्यक परमिट और शासन संबंधी मंजूरियों के बाद ही स्थान के चयन को स्वीकृति मिलती है।
इस समग्र प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होता है कि ऑयल रिग की स्थापना एक सुरक्षित, टिकाऊ और प्रभावी स्थल पर ही हो सके, जिससे उत्पादन प्रक्रिया को उच्चतम स्तर पर बरकरार रखा जा सके।
डिजाइन और इंजीनियरिंग
समुद्री ऑयल रिग का डिजाइन और इंजीनियरिंग एक जटिल और व्यापक प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न व्यावहारिक और तकनीकी विचारों का समावेश होता है। सबसे पहले, स्थल की पर्यावरणीय और भौगोलिक स्थितियों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है, ताकि रिग की संरचना और सामग्री का उचित चयन किया जा सके। ध्यान देने की प्राथमिक चीजें हैं: पानी की गहराई, समुद्र तल की संरचना, और संभावित जलवायु स्थितियाँ।
रिग का डिजाइन दो मुख्य प्रकारों में बंटा होता है: स्थिर रिग और मोबाइल रिग। स्थिर रिग का उपयोग अक्सर उथले पानी में किया जाता है और वे एक ही स्थान पर बने रहते हैं। इनके मुकाबले, मोबाइल रिग जैसे कि ड्रिल शिप्स और जैक-अप रिग, गहरे पानी या कठोर स्थितियों में उपयोगी होते हैं और उन्हें किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है।
संरचनात्मक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, रिग के विभिन्न हिस्सों का डिजाइन धातु और विशेष धातु मिश्र धातुओं से किया जाता है जो संरचना को उच्च दबाव और गंभीर समुद्री स्थितियों में भी टिकाऊ बनाता है। इसके साथ ही, इंजीनियरों को अत्यधिक लोड, तापमान, और जंग जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं के समाधान के लिए हाई-टेक कोटिंग्स और जंग रोकने वाली सामग्रियों का उपयोग किया जाता है।
सुरक्षा मानकों का पालन असाधारण महत्वपूर्ण है और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित मानकों द्वारा आबंटित किया जाता है। इन मानकों का अनुपालन ऑयल रिग को डिजाइन करने के सभी चरणों में अनिवार्य है। विभिन्न सुरक्षा सिस्टम्स जैसे कि फायर सप्रेशन सिस्टम, बचाव नौकाएं, और आपातकालीन निकासी प्रक्रियाओं का समावेश सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है।
अंत में, इंजीनियरिंग चुनौतियाँ महज तकनीकी नहीं होती; इनमें आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों का भी ध्यान रखना होता है। जटिल सॉफ्टवेयर टूल्स और सिमुलेशन तकनीकों का उपयोग रिग के विभिन्न पहलुओं के परीक्षण और विश्लेषण के लिए किया जाता है, जिससे डिज़ाइन और उसकी सफलता में सुधार किया जा सके। इस प्रकार, समुद्री ऑयल रिग का डिजाइन और इंजीनियरिंग एक समग्र और बहु-आयामी प्रक्रिया है जिसमें उच्च श्रेणी की विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
निर्माण की प्रक्रिया और उपकरण
ऑयल रिग निर्माण की प्रक्रिया बहु-चरणीय होती है, जिसमें विभिन्न आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का समन्वित प्रयोग किया जाता है। प्रक्रिया की शुरुआत फेब्रीकेशन यार्ड से होती है, जहां रिग के विभिन्न मॉड्यूल्स का निर्माण एवं परीक्षण किया जाता है। इन मॉड्यूल्स को फिर समुद्र में भेजा जाता है, जहां इन्हें असेंबल और इंस्टॉल किया जाता है।
फेब्रीकेशन यार्ड में, सबसे पहले स्टील और अन्य धातुवों को काटकर और वेल्डिंग करके उचित आकार में तैयार किया जाता है। अनेक बार, स्वचालित वेल्डिंग मशीनें और सीएनसी (कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल) मशीनों का उपयोग किया जाता है ताकि निर्माण में उच्च सटीकता सुनिश्चित हो सके। इसमें प्लेटफॉर्म जैकेट्स, डेप स्टैक्चर, और पाइप सपोर्ट सिस्टम्स जैसी विभिन्न इकाइयाँ बनाई जाती हैं।
एक बार ये मॉड्यूल्स तैयार हो जाने के बाद, इन्हें भारी क्रेनों की मदद से समुद्री जहाजों पर लोड किया जाता है। ऊपर के सभी मॉड्यूल्स को बड़ी सावधानी और टेक्निकल एक्सपर्टाइज के साथ समुद्र में स्थापित किया जाता है। मॉड्यूलर असेंबली के दौरान उपकरणों का उपयोग विशेष ध्यान देने योग्य होता है, जिसमें बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने वाले लिफ्टिंग जैक, हाइड्रोलिक जैकिंग सिस्टम्स, और सब-सी रोबोट्स शामिल हैं।
समुद्र में रिग के मॉड्यूल्स को समुद्र तल पर स्थिरता प्रदान करने के लिए उचित साइट पर ड्रिलिंग किया जाता है और फिर वहां पर एमबेडेड किया जाता है। इसके लिए जिओटेक्निकल सर्वे से उपलब्ध डेटा का उपयोग किया जाता है ताकि ड्रिलिंग स्थान का उचित चयन किया जा सके। हाइड्रोलिक जैकिंग सिस्टम्स और रिगिंग टूल्स का प्रयोग मॉड्यूल्स को समुद्र तल पर सही ढंग से बिठाने के लिए किया जाता है।
समुद्र में मॉड्यूलर असेंबली और इंस्टॉलेशन के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद, यह सुनिश्चित किया जाता है कि रिग ऑपरेशनल स्टैंडर्ड्स के लिए तैयार है। इसके अंतर्गत पाइपलाइनों का कनेक्शन, फ्लुड लाइन्स की टेस्टिंग, और इलेक्ट्रिकल वर्क्स शामिल हैं। इस पूरी प्रक्रिया में उत्कृष्टता और सुरक्षा मानकों को प्राथमिकता दी जाती है ताकि बाद में किसी भी प्रकार की दुर्घटना या तकनीकी समस्याओं से बचा जा सके।
समुद्र में रिग स्थापित करना
समुद्र में ऑयल रिग की स्थापना एक जटिल और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें तकनीकी और लॉजिस्टिकल दोनों प्रकार की कठिनाइयाँ शामिल होती हैं। सबसे पहले, स्टेबिलिटी की समस्या को हल किया जाता है। ऑयल रिग को समुद्र की सतह पर स्थिर रखने के लिए उन्नत इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इसमें रिग के लिए सही स्थान का चयन और उचित डिज़ाइनिंग शामिल होती है ताकि रिग समुद्र की तेज़ हवाओं और लहरों का सामना कर सके।
इसके बाद, एंकरिंग या रिग को समुद्र की तली में स्थिर रखने की प्रक्रिया आती है। इस प्रक्रिया के दौरान, भारी एंकरों का उपयोग किया जाता है जो समुद्र के तल के साथ मजबूती से जुड़ जाते हैं। एंकरिंग के लिए विशेष शिप्स और हाइड्रोलिक इक्विपमेंट का उपयोग किया जाता है, ताकि एंकर को सही गहराई और स्थान पर सेट किया जा सके। यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि एंकरिंग प्रक्रिया सफल हो, क्योंकि इससे रिग की स्थिरता और सुरक्षा पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।
मॉड्यूल असेंबली भी समुद्र में ऑयल रिग स्थापित करने की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। रिग के विभिन्न घटकों को समुद्र में पहुंचाने और वहीं पर असेंबल करने के लिए उच्च प्रशिक्षित कर्मियों और विशेष उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है। मॉड्यूल असेंबली के दौरान, क्रेन्स, वेल्डिंग इक्विपमेंट और अन्य भारी उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। सुरक्षा मानकों और प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य होता है, ताकि किसी भी दुर्घटना को टाला जा सके।
समग्र रूप से, समुद्र में रिग स्थापित करना कई चरणों और व्यापक तैयारी के साथ किया जाता है। हर एक चरण में तकनीकी कुशलता और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है, जिससे न केवल प्रोजेक्ट की सफलता सुनिश्चित होती है, बल्कि समुद्री जीवन और पर्यावरण को भी न्यूनतम क्षति पहुंचती है।
सुरक्षा और पर्यावरणीय चिंताएं
ऑयल रिग्स के निर्माण और संचालन के दौरान सुरक्षा और पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना कि श्रमिकों और पर्यावरण को कम से कम क्षति पहुंचे, कंपनियों का प्राथमिक उद्देश्य होता है। अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुसार कार्यस्थल पर सुरक्षा उपकरण, जैसे कि हार्ड हैट्स, सेफ्टी ग्लासेस, और उच्च गुणवत्ता वाले पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का उपयोग अनिवार्य होता है।
इसके अलावा, ऑयल रिग्स पर बनने वाले आपातकालीन स्थिति की योजना और प्रशिक्षण भी आवश्यक है। हर कर्मी को आपातकालीन स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए यह विस्तृत रूप से समझाया जाता है। कंपनियां नियमित रूप से ड्रिल्स और सुरक्षा प्रशिक्षण सत्र आयोजित करती हैं, ताकि ऑपरेशनल सुरक्षा को अधिकतम किया जा सके।
पर्यावरणीय संरक्षण की दृष्टि से, ऑयल रिग्स के निर्माण में कई तकनीकी उपाय लागू किए जाते हैं। समुद्र तट पर ऑयल के फैलाव को रोकने के लिए विशेष कंटेनमेंट बूम और स्किमर्स का उपयोग किया जाता है। तेल निकालने के दौरान पैदा होने वाले व्यर्थ जल को साफ करने के लिए अत्याधुनिक वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स का उपयोग होता है। इसके अलावा, समुद्र के जलीय जीवन को प्रभावित करने वाले कारकों पर नियंत्रण रखने के लिए कठोर पर्यावरणीय नियम बनाए गए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों और पर्यावरणीय नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए ऑडिट और निरिक्षण भी नियमित अंतराल पर किए जाते हैं। यदि किसी संदिग्ध गतिविधि का पता चलता है, तो तुरन्त कार्रवाई की जाती है और आवश्यक सुधार किए जाते हैं।
इस प्रकार, ऑयल रिग्स के निर्माण और संचालन के दौरान सुरक्षा और पर्यावरणीय चिंताओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह न केवल संचालन को सफल बनाता है, बल्कि पृथ्वी और हमारे समुद्री संसाधनों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है।
निर्माण के दौरान आने वाली चुनौतियां
समुद्र में ऑयल रिग निर्माण की प्रक्रिया अत्यंत जटिल होती है और इसमें विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सबसे प्रमुख चुनौती खराब मौसम की होती है। समुद्र में मौसम का तेजी से बदलना और तूफानों का आना, निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करता है जिससे निर्माण कार्य में देरी हो सकती है। तेज हवाएं और भारी बारिश के कारण कामकाज बंद करना पड़ सकता है, जिससे लागत बढ़ जाती है और समय सीमा पर असर पड़ता है।
समुद्री लहरें भी एक बड़ी चुनौती होती हैं। पानी के भीतर और सतह पर उत्पन्न होने वाली लहरें उपकरणों और निर्माण श्रमिकों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। लहरों के साथ-साथ, समुद्री जीव जैसे शार्क और अन्य खतरनाक मछलियों की मौजूदगी भी एक सुरक्षा की दृष्टि से बड़ा मुद्दा होता है। इसके अलावा, समुद्री जल की जंगरोधी प्रभाव के कारण, निर्माण में प्रयोग होने वाली सामग्री की गुणवत्ता और स्थायित्व पर भी विशेष ध्यान देना पड़ता है।
निर्माण स्थल की जहरीली परिस्थितियां एक और प्रमुख चुनौती हैं। खुली हवा और पानी में जहरीले रसायनों का मिश्रण, दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ा देता है। जहरीली गैसों और अन्य विनाशकारी तत्वों से कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
आर्थिक चुनौतियां भी बड़े पैमाने पर प्रभाव डालती हैं। महासागरीय ऑयल रिग निर्माण परियोजनाओं की लागत प्रबंधन, वित्त पोषण और बजट का निर्धारण काफी कठिन कार्य है। परियोजना को समय पर और बजट में पूरा करने के लिए सटीक योजना और वित्तीय प्रबंधन अनिवार्य है।
अंततः, परियोजना प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियां जैसे संसाधनों का कुशल प्रबंधन, निष्पादन योजना, और समय सीमा का पालन करना भी आवश्यक होता है। निर्माण प्रक्रिया में विभिन्न ठेकेदारों और सेवाप्रदाताओं का समन्वय भी महत्वपूर्ण है। कुल मिलाकर, इन सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी, सहयोगी टीमवर्क और प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
भविष्य की प्रौद्योगिकियां और नवाचार
समुद्री ऑयल रिग्स के निर्माण और संचालन में निरंतर नवप्रवर्तन और उन्नत प्रौद्योगिकियों का महत्वपूर्ण स्थान है। भविष्य में, कई अत्याधुनिक तकनीकों और नवाचारों की संभावना है जो इस उद्योग को और भी सुदृढ़ और कुशल बना सकते हैं। इनमे प्रमुख रूप से नए सामग्री, रोबोटिक्स, और अस्थायी रिग्स का उपयोग शामिल है।
नए सामग्री, जैसे कि उन्नत मिश्रित कंपोजिट्स और हल्के वजन के धातुएं, न केवल ऑयल रिग्स की संरचनात्मक अखंडता को बढ़ाती हैं, बल्कि उन्हें तूफानों और अन्य विपरीत समुद्री परिस्थितियों का सामना करने के लिए भी तैयार करती हैं। ये सामग्री, पारंपरिक स्टील की तुलना में, अधिक टिकाऊ और जंगरोधी होती हैं, जिससे रखरखाव की आवृत्ति और खर्च दोनों में कमी आती है।
रोबोटिक्स और स्वचालन के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण विकास हो रहे हैं। समुद्री ड्रोन और अंडरवाटर रोबोट्स का उपयोग ऑयल रिग्स की नियमित निरीक्षण और मरम्मत के लिए होता है, जिससे मानव श्रमिकों की सुरक्षा में बढ़ोतरी होती है। ये रोबोट उन्नत सेंसर और कैमरों से सुसज्जित होते हैं, जो गहरे समुद्र में भी उच्च गुणवत्ता वाले डेटा और लाइव फीड प्रदान कर सकते हैं।
अस्थायी रिग्स, या फ्लोटिंग प्रोडक्शन सिस्टम, एक अन्य महत्वपूर्ण नवाचार है। ये रिग्स पारंपरिक स्थिर प्लेटफार्मों के विपरीत, गहरे समुद्र में अस्थायी रूप से स्थापित किए जा सकते हैं, जिससे वे अधिक लचीले और कुशल साबित होते हैं। ये अस्थायी रिग्स तेल और गैस की खोज और उत्पादन को बिना समय और संसाधनों की बर्बादी के, विभिन्न स्थानों पर स्विफ्टली स्थानांतरित कर सकते हैं।
समुद्र में ऑयल रिग्स के निर्माण और संचालन में इन नवाचारों के समावेश से, न केवल उद्योग की परिचालन क्षमताओं में सुधार होगा, बल्कि पर्यावरणीय प्रभावों को भी कम करने में मदद मिलेगी। यह तकनीकी प्रगति इस उद्योग को एक नए युग में ले जाने की संभावनाएं रखती हैं, जिससे यह और भी सुरक्षित, कुशल और पर्यावरण-सहज बन सके।
ऑयल रिग क्या है?
ऑयल रिग एक संरचना है जिसका उपयोग समुद्र या जमीन के नीचे से तेल निकालने के लिए किया जाता है।
समुद्र में ऑयल रिग कैसे बनाए जाते हैं?
समुद्र में ऑयल रिग निर्माण की प्रक्रिया में ड्रिलिंग प्लेटफार्म को स्थिर करने, समर्थन संरचनाओं को स्थापित करने और ड्रिलिंग उपकरण की स्थापना शामिल होती है।
ऑयल रिग निर्माण में कौन सी चुनौतियाँ होती हैं?
समुद्र में गहराई, मौसम की स्थिति, और स्थिरता बनाए रखने की चुनौतियाँ ऑयल रिग निर्माण में प्रमुख हैं।
ऑयल रिग निर्माण में कितनी लागत आती है?
ऑयल रिग निर्माण में लाखों से लेकर अरबों डॉलर तक की लागत आ सकती है, यह रिग के आकार और स्थान पर निर्भर करता है।
ऑयल रिग की स्थापना में कितना समय लगता है?
ऑयल रिग की स्थापना में 6 महीने से लेकर 2 साल तक का समय लग सकता है, यह रिग के प्रकार और स्थान पर निर्भर करता है।
ऑयल रिग कितने प्रकार के होते हैं?
ऑयल रिग मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं: जैक-अप, सेमी-सबमर्सिबल, और फ्लोटिंग रिग।
जैक-अप रिग क्या है?
जैक-अप रिग एक प्रकार का रिग है जिसे समुद्र के तल पर स्थापित किया जाता है और इसे उठाने और गिराने के लिए जैकिंग तंत्र का उपयोग किया जाता है।
फ्लोटिंग रिग क्या है?
फ्लोटिंग रिग एक प्रकार का ड्रिलिंग प्लेटफार्म है जो समुद्र के ऊपर तैरता है और समुद्र के बहुत गहरे हिस्सों में उपयोग किया जाता है।
ऑयल रिग की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है?
ऑयल रिग की सुरक्षा के लिए सख्त मानक, नियमित निरीक्षण, और आपातकालीन योजनाओं का पालन किया जाता है।
समुद्र में ऑयल रिग लगाने के लिए किस प्रकार के उपकरणों की आवश्यकता होती है?
समुद्र में ऑयल रिग लगाने के लिए ड्रिलिंग मशीन, क्रेन, जैकिंग सिस्टम, और हेलीकॉप्टर पैड जैसे उपकरणों की आवश्यकता होती है।