कंधार हाइजैक की पूरी कहानी: IC 814 Hijack के खौफनाक 8 दिन, आतंकियों की रिहाई

कंधार हाइजैक की घटना भारत के इतिहास की सबसे भयानक घटनाओं में से एक है। 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को पांच आतंकियों ने हाइजैक कर लिया था। विमान नेपाल के काठमांडू से दिल्ली आ रहा था और भारतीय सीमा में प्रवेश करने के तुरंत बाद आतंकियों ने इसे अपने कब्जे में ले लिया। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और यात्री खौफ में थे।

8 दिन के तनावपूर्ण इंतजार के बाद, अंततः 3 आतंकियों की रिहाई के बाद यात्रियों को सुरक्षित भारत लाया गया। इस घटना को हालिया वेब सीरीज ‘IC 814: The Kandahar Hijack’ में दर्शाया गया है, जिससे लोगों को उस खौफनाक समय की याद ताजा हो गई है। आइए विस्तार से जानते हैं इस हाइजैक की पूरी कहानी और इसके हर पहलू को।


1. घटना की शुरुआत और हाइजैक का आतंक
24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 ने नेपाल के काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरी। विमान में कुल 176 यात्री और 15 क्रू मेंबर्स थे। उड़ान के कुछ समय बाद ही, जैसे ही विमान भारतीय हवाई सीमा में पहुंचा, पांच आतंकियों ने बंदूक और ग्रेनेड के साथ विमान को हाइजैक कर लिया। हाइजैकर्स ने पायलट को बंदूक की नोक पर धमकाया और सभी यात्रियों को डराने धमकाने लगे। विमान के सभी यात्रियों की जान खतरे में थी और चारों तरफ दहशत का माहौल बन गया था।

2. ईधन की कमी और विमान का सफर
हाइजैक के बाद आतंकियों ने विमान को पाकिस्तान की तरफ मोड़ने का निर्देश दिया। लेकिन विमान में पर्याप्त ईधन नहीं था जिससे आतंकियों की योजना को झटका लगा। विमान को पहले अमृतसर की ओर मोड़ा गया लेकिन वहां उतरने की अनुमति नहीं मिली। इसके बाद हाइजैकर्स ने विमान को लाहौर की तरफ मोड़ दिया। बिना पाकिस्तान सरकार की अनुमति के, फ्लाइट रात 8 बजकर 7 मिनट पर लाहौर एयरपोर्ट पर उतरी। इसके बाद विमान दुबई के लिए रवाना हुआ, जहां उसे रीफ्यूल किया गया और कुछ यात्रियों को रिहा किया गया।

3. हाइजैकर्स की मांगें और बातचीत
हाइजैक होने के कुछ घंटों बाद ही हाइजैकर्स ने अपनी मांगें पेश कर दीं। उनकी प्रमुख मांग थी कि भारतीय जेलों में बंद सभी आतंकियों को रिहा किया जाए, और इसके साथ ही 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की फिरौती भी मांगी गई। भारत सरकार और हाइजैकर्स के बीच बातचीत का सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा था और देश में प्रदर्शन तेज हो गए थे।

4. आतंकियों की रिहाई और यात्रियों की वापसी
अंततः सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए तीन आतंकियों को रिहा करने का फैसला किया। 31 दिसंबर 1999 को तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह तीन आतंकियों — मौलाना मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख, और मुश्ताक अहमद जरगर — को लेकर कंधार पहुंचे। आतंकियों को सौंपे जाने के बाद यात्रियों को रिहा किया गया और उन्हें एक विशेष विमान के जरिए सुरक्षित भारत लाया गया।

5. खौफ के 8 दिन और देश में तनाव
इस हाइजैक के दौरान पूरे देश में तनाव का माहौल था। यात्री लगातार 8 दिनों तक आतंकियों के कब्जे में थे और उनकी रिहाई के लिए हर संभव कोशिश की जा रही थी। हाइजैकर्स की मांगें पूरी नहीं की जा सकीं, लेकिन यात्रियों की सुरक्षा के बदले आतंकियों की रिहाई करनी पड़ी। इस पूरे घटनाक्रम ने देश को झकझोर कर रख दिया और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए।

6. IC 814: The Kandahar Hijack वेब सीरीज
कंधार हाइजैक की कहानी को हालिया वेब सीरीज ‘IC 814: The Kandahar Hijack’ में दर्शाया गया है। इस वेब सीरीज में दिखाया गया है कि कैसे आतंकियों ने विमान को हाइजैक किया और यात्रियों को 8 दिनों तक बंधक बनाए रखा। सीरीज ने दर्शकों को उस दौर की भयावहता से रूबरू कराया है और उन्हें याद दिलाया है कि किस तरह यात्रियों की सुरक्षा के लिए सरकार को कठिन फैसले लेने पड़े।

7. ऑपरेशन कंधार और भारत की रणनीति
हाइजैक के दौरान भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन कंधार के तहत यात्रियों की सुरक्षा के लिए योजना बनाई। मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी इस ऑपरेशन का हिस्सा थे। सरकार ने आतंकियों की रिहाई के लिए कड़ा निर्णय लिया, लेकिन यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी। इस रणनीति की आलोचना भी हुई लेकिन यात्रियों को सुरक्षित लाना ही मुख्य उद्देश्य था।

8. देशभर में हुए प्रदर्शन और सरकार पर दबाव
कंधार हाइजैक के दौरान देशभर में प्रदर्शन हुए। लोग सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग कर रहे थे। यात्रियों के परिजन और आम जनता गुस्से और भय से भरे हुए थे। सरकार पर भारी दबाव था कि वह यात्रियों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करे।

9. आतंकियों की पहचान और भविष्य के खतरे
रिहा किए गए आतंकियों में मौलाना मसूद अजहर, जो कि जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक है, अहमद उमर सईद शेख, जो बाद में अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या में शामिल था, और मुश्ताक अहमद जरगर शामिल थे। इन आतंकियों की रिहाई ने भविष्य में सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे पैदा किए।

10. यात्री अनुभव और सहमे हुए 8 दिन
इन 8 दिनों के दौरान यात्री भय और अनिश्चितता में रहे। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह समय बेहद कठिन था। यात्री हर पल मौत के साये में जी रहे थे और उनके परिवार वाले बाहर उनकी सुरक्षित वापसी की दुआ कर रहे थे।

11. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका
इस हाइजैक के दौरान भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने अत्यंत सावधानी और रणनीतिक योजना के साथ काम किया। ऑपरेशन कंधार के तहत यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई। हालांकि, स्थिति अत्यंत चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन एजेंसियों ने यात्रियों को सुरक्षित लाने के हर संभव प्रयास किए।

12. कंधार हाइजैक का प्रभाव और सबक
कंधार हाइजैक ने भारत को कई सबक सिखाए। इस घटना ने दिखाया कि आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, हाइजैक के दौरान यात्रियों की सुरक्षा के लिए बेहतर प्रोटोकॉल और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भी आवश्यकता महसूस की गई। इस घटना ने भारत की सुरक्षा नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव लाए और हाइजैक के खिलाफ कड़े सुरक्षा उपायों की नींव रखी।

कंधार हाइजैक क्या था?

कंधार हाइजैक 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के हाइजैक की घटना थी, जिसमें पांच आतंकियों ने विमान को कंधार, अफगानिस्तान ले जाकर यात्रियों को बंधक बना लिया था।

IC-814 हाइजैक के दौरान कितने यात्री थे?

IC-814 हाइजैक के दौरान विमान में कुल 176 यात्री और 15 क्रू मेंबर्स थे।

कंधार हाइजैक के दौरान आतंकियों की मांगें क्या थीं?

आतंकियों की प्रमुख मांगें थीं कि भारतीय जेलों में बंद सभी आतंकियों को रिहा किया जाए और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की फिरौती दी जाए।

कंधार हाइजैक कितने दिनों तक चला?

कंधार हाइजैक की घटना 8 दिनों तक चली थी। 24 दिसंबर से 31 दिसंबर 1999 तक यात्री बंधक बने रहे।

कंधार हाइजैक के बाद यात्रियों को कब रिहा किया गया?

कंधार हाइजैक के बाद यात्रियों को 31 दिसंबर 1999 की रात को रिहा किया गया।

कंधार हाइजैक के लिए जिम्मेदार आतंकी कौन थे?

कंधार हाइजैक के लिए पांच आतंकी जिम्मेदार थे, जिनमें प्रमुख थे मौलाना मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख, और मुश्ताक अहमद जरगर।

कंधार हाइजैक की घटना कहाँ हुई थी?

कंधार हाइजैक की घटना अफगानिस्तान के कंधार हवाई अड्डे पर हुई थी, जहां आतंकियों ने विमान को उतारा था।

कंधार हाइजैक के समय प्रधानमंत्री कौन थे?

कंधार हाइजैक के समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे।

कंधार हाइजैक पर आधारित कोई वेब सीरीज है?

जी हां, हाल ही में ‘IC 814: The Kandahar Hijack’ नामक वेब सीरीज रिलीज हुई है जो कंधार हाइजैक की घटना पर आधारित है।

IC-814 विमान को कहाँ-कहाँ ले जाया गया था?

IC-814 विमान को पहले अमृतसर, फिर लाहौर, दुबई और अंत में कंधार ले जाया गया था।

कंधार हाइजैक के दौरान यात्रियों की क्या स्थिति थी?

कंधार हाइजैक के दौरान यात्री अत्यधिक खौफ में थे। विमान में बंदूक की नोक पर यात्री सहमे हुए थे और लगातार 8 दिनों तक उनकी जान का खतरा बना रहा।

कंधार हाइजैक के पीछे किस आतंकवादी संगठन का हाथ था?

कंधार हाइजैक के पीछे जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन का हाथ था, जिसका नेतृत्व मौलाना मसूद अजहर कर रहा था।

कंधार हाइजैक में भारत सरकार की भूमिका क्या रही?

भारत सरकार ने यात्रियों की सुरक्षित रिहाई के लिए कड़ा रुख अपनाया और तीन आतंकियों की रिहाई के बदले यात्रियों को छुड़ाया।

कंधार हाइजैक में कौन-कौन से देशों का सहयोग मिला?

कंधार हाइजैक के दौरान पाकिस्तान, दुबई और अफगानिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन किसी भी देश ने आतंकियों को सीधा सहयोग नहीं दिया।

कंधार हाइजैक के बाद क्या कार्रवाई की गई?

कंधार हाइजैक के बाद भारत ने अपनी सुरक्षा नीतियों में सुधार किया और हवाई सुरक्षा को और कड़ा किया गया। इस घटना के बाद भारत ने आतंकियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की योजना बनाई।

IC-814 हाइजैक के बाद भारत की विदेश नीति में क्या बदलाव आया?

IC-814 हाइजैक के बाद भारत की विदेश नीति में आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया गया और पड़ोसी देशों के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया।

कंधार हाइजैक के समय यात्रियों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की गई?

यात्रियों की सुरक्षा के लिए भारत ने कूटनीतिक प्रयास किए और अंततः आतंकियों की रिहाई के साथ यात्रियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की।

कंधार हाइजैक के समय क्या अंतरराष्ट्रीय दबाव था?

कंधार हाइजैक के दौरान भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव था कि वह जल्द से जल्द यात्रियों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करे। कई देशों ने भारत के इस मामले में सहयोग भी किया।

IC 814 हाइजैक पर बनी वेब सीरीज कहाँ देख सकते हैं?

‘IC 814: The Kandahar Hijack’ वेब सीरीज को प्रमुख ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर देखा जा सकता है।

कंधार हाइजैक की घटना के बाद क्या बदलाव हुए?

कंधार हाइजैक के बाद भारत ने अपनी हवाई सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की सुरक्षा को कड़ा किया, साथ ही हाइजैक जैसी घटनाओं से निपटने के लिए बेहतर प्रोटोकॉल स्थापित किए।

कंधार हाइजैक के प्रमुख सबक क्या हैं?

कंधार हाइजैक ने यह सिखाया कि आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की जरूरत है और सुरक्षा प्रोटोकॉल को और मजबूत करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और संवाद भी आवश्यक है।


Conclusion:
कंधार हाइजैक भारतीय इतिहास की एक भयावह घटना थी जिसने देश को हिला कर रख दिया था। 8 दिन तक चले इस हाइजैक के दौरान यात्रियों ने जिस खौफ का सामना किया, वह कभी भुलाया नहीं जा सकता। 3 आतंकियों की रिहाई और यात्रियों की सुरक्षित वापसी के साथ यह घटना खत्म हुई, लेकिन इसके असर और सबक आज भी हमारे साथ हैं। वेब सीरीज ‘IC 814: The Kandahar Hijack’ ने इस घटना को एक बार फिर सामने लाकर लोगों को उस खौफनाक समय की याद दिलाई है।

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