nasa का मून मिशन, ISRO ने कर दिखाया, नासा से आयी बवंडर खबर India Moon Mission Live Latest Update
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nasa का मून मिशन, ISRO ने कर दिखाया, नासा से आयी बवंडर खबर India Moon Mission Live Latest Update
दोस्तों आज से करीब चौवन साल पहले बीस जुलाई उन्नीस सौ उनहत्तर वो तारीख थी जब अमेरिका की
घास रचा था उसके अपोलो एलेवेन मून मिशन के जरिए पहला इंसान चाँद की धरती पर पहुंचा था नील आर्मस्ट्रांग वो पहले ऐसे थे जिन्होंने चाँद पर पहुंचने के साथ ही इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा लिया मतलब जब लोगों के घरों में मोबाइल नहीं था, इंटरनेट नहीं था, टीबी भी कमोबेश था या ठीक से कहें तो वो तकनीक भी नहीं थी जो आज मौजूद हैं तब चाँद के ऊपर इंसान को उतार कर के नासा ने इतिहास रच दिया था हालांकि दोस्तों कई सारी थ्योरी ऐसी हैं जिनके मुताबिक नासा का मशहूर अपोलो मिशन एक बहुत बड़ा झूठ था
क्योंकि साल हो गए क्यों आखिर अब तक नासा फिर से वहाँ पर इंसान को नहीं भेज पाया है और अब जो दोस्तों खबर आ रही है वो इस बात पर भी बड़ी मुहर लगाती हैं शक ज़ाहिर कर देती है दोस्तों रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस के पूर्व चीफ दिमित्री रोगोजिन ने इसी साल मई में कहा था कि अब तक इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं है कि अमेरिका कभी चाँद के ऊपर पहुंचा भी था दो सौ ये थोड़ी क्या है और इसको लेकर के हम बात करने वाले हैं लेकिन उससे पहले आपको एक ऐसी बात बता देता हूँ जिसने अमेरिका की नहीं बल्कि दुनिया की धड़कन भी बढ़ा दी है क्योंकि दोस्तों ये रिपोर्ट कह रही है कि नासा चाँद पर इंसान को उतार ही नहीं पायेगा
और इस रिपोर्ट ने नासा की हवा टाइट कर दी है क्योंकि जीस नासा के लिए कहा जा रहा था की वो चौवन साल पहले चाँद पर इंसान को उतार चुकी है वो अब क्यों नहीं कर सकती है मतलब कुछ तो गडबड झोल है ये पूरा झूल समझेंगे पहले ताजा मामला बताता हूँ दरअसल दोस्तों नासा चाँद पर पहुंचने के लिए अपने प्रोग्राम को स्टार्ट कर चुका है नासा का टारगेट है की वो दो हज़ार पच्चीस से छब्बीस तक इंसान को फिर से जान पर पहुंचा दें इसके आगे भी मिशन के जरिए प्रोग्राम चलाए जाएंगे, जिसमें चंद्रमा पर बनाना भी शामिल है और इसके लिए एस एल एस यानी की स्पेस लॉन्च सिस्टम का पहला लोन्स वन प्रोग्राम के तहत दो हज़ार बाईस में हो चुका है
अब नासा चाँद के लिए अंतरिक्ष यात्री भेजने के लिए जुड़ा मिशन दो हज़ार चौबीस में लॉन्च कर सकता है या फिर ये डेट दो हज़ार पच्चीस या फिर छब्बीस तक जा सकती है जिसके बाद में नासा आर्टेमिस थ्री मिशन को लॉन्च करेगा और इसके जरिए इंसानों को चाँद पर भेजा जाएगा
किचन की साउथ पोल के पास पहुंचा जाए जहाँ पहुंचने वाला भारत पहला देश बन चुका है जिसने चंद्रयान मिशन के जरिए अपना विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से पहुंचा दिया है हालांकि दोस्तों अब नासा की ओर से जो खबर सामने आई है उस में हड़कंप मचा कर के रख दिया है क्योंकि अमेरिकी सरकार के जवाबदेही कार्यालय यानी की जीएओ ने एक रिपोर्ट रिलीज की है जिसके मुताबिक नासा के सीनियर साइंटिस्ट कह रहे है की आखिर इस प्रोग्राम का लोन सिस्टम इतना महंगा है की ये बना पाना नामुमकिन लग रहा है हालांकि ऐसा नहीं है कि रॉकेट को बनाया नहीं जा सकता, लेकिन ये रिपोर्ट स्पेस लॉन्च सिस्टम यानी एस लेंस के खर्च को भयावह बता रही है
मतलब ये खर्च कितना ज्यादा है की ना तो अमेरिका और ना ही नासा इसे अपलोड कर पाएगा इस रिपोर्ट में खर्च पर पारदर्शिता की कमी पर भी बड़ी बात कही गई है हालांकि ये बात किसी साइअन्टिस्ट ने कही है खर्च कितना आ रहा है ये सब कुछ बातें छुपा ली गई है बड़ी बात ये है कि नासा ने भी इस रिपोर्ट को डिनै नहीं किया है दोस्तों इस वक्त नासा जहाँ एक और अपने मिशन के लिए वेरी हेवी रॉकेट पर फोकस कर रहा है तो वही अपना एक मून रोवर तैयार कर रहा है जिसका नाम है वोलेटाइल इन्वेस्टिगेटिंग पोलर एक्स्प्रेशन रोवर यानी की वाइफ पर दो सौ नासा इसे चंद्रमा की साउथ पोल पर दो हज़ार चौबीस के अंदर उतारना चाहता है
नासा की जॉनसन स्पेस सेंटर के इंजीनियर्स ने रैंप पर उतरने का टेस्ट भी कर लिया है ये रोवर जी स्लैन्डर में भेजा जाएगा उसे एक प्राइवेट कंपनी की ओर से बनाया जा रहा है ये चाँद के नॉवल क्रिएटर के पास में उतरेगा इसका मिशन चंद्रमा की सतह पर बर्फ़ की खोज करना है मतलब दो सौ चाँद के लिए नासा से लेकर के रॉकेट बनाने पर तेजी से काम कर रहा है ना फन्ने स्पेस लॉन्च सिस्टम यानी के इस लेंस को चंद्रमा पर आर्टेमिस मिशन के लिए लॉन्च के रूप में तैयार करने के लिए डिजाइन किया है दो सौ ये दुनिया का सबसे पॉवरफुल लोकहित है जिसे नासा ने चंद्रमा के ऊपर इंसानों को भेजने के लिए बनाया है लेकिन इसकी लागत पर
अमेरिका में तूफान मच गया है दोस्तों अमेरिका की इस रिपोर्ट में कहा गया है की अगर लागत कम नहीं हुई तो फिर ये मिशन खटाई में पड़ने वाला है क्योंकि ये लॉन्ग टर्म के लिए हाथ से चल भी नहीं पायेगा नासा ने इस प्रोग्राम के लिए अरबों खरबों डॉलर खर्च करने का प्लैन बनाया है नासा ने इस प्रोजेक्ट के लिए अमेरिकी सरकार से ग्यारह दशमलव दो अरब डॉलर देने के लिए कहा है और दो सौ ये राशि ही प्रोग्राम पर पहले से ही खर्च हो चुकी ग्यारह दशमलव आठ अरब डॉलर की राशि के अलावा है दोस्तों, भारत ने जो मिशन लॉन्च किया था उसकी लागत ही छे सौ पंद्रह करोड़ रुपए रूस ने जो मिशन लॉन्च किया था उसकी लागत थी सोलह सौ करोड़ रुपए और अभी जापान ने जो मिशन लॉन्च किया है
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