रक्षाबंधन, भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है, जिसे श्रावण मास की पूर्णिमा को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, जबकि भाई जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं। रक्षाबंधन का यह त्यौहार सदियों से चली आ रही परंपरा और धार्मिक मान्यताओं के साथ जुड़ा हुआ है, जो भाई-बहन के रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाता है। इस लेख में हम रक्षाबंधन के इतिहास, महत्व और पौराणिक कहानियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
रक्षाबंधन का इतिहास और महत्व:
रक्षाबंधन का त्यौहार सिर्फ एक साधारण रिवाज नहीं है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस त्यौहार के पीछे अनेक पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं।
कर्णावती और हुमायूं की कहानी:
रक्षाबंधन के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध कहानी कर्णावती और मुगल सम्राट हुमायूं की है। कर्णावती, चित्तौड़ की विधवा रानी ने अपने राज्य की रक्षा के लिए हुमायूं को राखी भेजी थी। हुमायूं ने राखी की लाज रखते हुए चित्तौड़ की रक्षा के लिए अपने सैनिक भेजे और कर्णावती की सहायता की। यह कहानी भाई-बहन के रिश्ते में विश्वास और सम्मान की मिसाल बन गई।
सिकंदर और पुरू की कहानी:
यह कहानी उस समय की है जब सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया था। सिकंदर की पत्नी ने भारतीय राजा पुरू को राखी भेजी और भाई मानते हुए उसे सिकंदर के खिलाफ युद्ध में उसे न मारने का वचन लिया। पुरू ने राखी का मान रखते हुए युद्ध के दौरान सिकंदर को नहीं मारा। इस घटना ने राखी के महत्व को और भी बढ़ा दिया।
पौराणिक कथाएँ:
रक्षाबंधन के महत्व को समझने के लिए हमें पौराणिक कथाओं की ओर देखना होगा। इनमें से कुछ प्रमुख कथाएँ निम्नलिखित हैं:
संतोषी माँ की कथा:
संतोषी माँ की पूजा का प्रचलन भी रक्षाबंधन से जुड़ा हुआ है। इस दिन संतोषी माँ की विशेष पूजा होती है, जिससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
इंद्र देव की कथा:
एक और पौराणिक कथा में उल्लेख है कि जब इंद्र देव को असुरों से युद्ध में हार का सामना करना पड़ा, तब उनकी पत्नी शचि ने उन्हें एक रक्षा सूत्र बांधा था, जिससे उनकी शक्ति बढ़ गई और उन्होंने युद्ध में विजय प्राप्त की।
लक्ष्मी और बलि की कथा:
एक अन्य कहानी में भगवान विष्णु के साथ बलि के वचनबद्धता के कारण माता लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधकर उसे भाई बना लिया और उसे अपने साथ विष्णु लोक चलने का आग्रह किया। इस प्रकार लक्ष्मी ने अपने पति विष्णु को बलि से वापस पा लिया।
कृष्ण और द्रौपदी की कहानी:
महाभारत की एक कथा के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली काटी थी, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली में बांध दिया था। इस प्रकार, कृष्ण ने उन्हें अपनी बहन मानते हुए हमेशा उनकी रक्षा का वचन दिया और चीर हरण के समय उनकी रक्षा की।
रक्षाबंधन का महत्व:
रक्षाबंधन का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी है। यह त्यौहार भाई-बहन के बीच के संबंध को और भी मजबूत करता है। रक्षाबंधन हमें यह भी सिखाता है कि हम अपनी संस्कृति और परंपराओं का आदर करें और उन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएं। भाई-बहन का यह रिश्ता सिर्फ खून का नहीं, बल्कि एक ऐसा बंधन है जो विश्वास, प्यार, और सुरक्षा पर आधारित होता है। इस त्यौहार के माध्यम से हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं और अपने रिश्तों को और भी मजबूत बनाते हैं।
निष्कर्ष:
रक्षाबंधन सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है, जो हमें आपसी प्रेम, सम्मान, और सुरक्षा का महत्व सिखाता है। यह त्यौहार हमें हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर की याद दिलाता है और हमें अपने रिश्तों की कदर करने की प्रेरणा देता है। रक्षाबंधन का संदेश यही है कि हम हमेशा अपने प्रियजनों के साथ खड़े रहें और उनके जीवन में खुशियों का संचार करें।