जमात-ए-इस्लामी ने कैसे बेदखल की शेख हसीना How Jamaat-e-Islami Ousted Sheikh Hasina

1 अगस्त को बांग्लादेश सरकार ने जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र संगठन पर बैन लगाने की अधिसूचना जारी की। यह निर्णय सरकार के लिए घातक साबित हुआ। जमात-ए-इस्लामी पर विरोध प्रदर्शन भड़काने का आरोप लगाया गया, जो शेख हसीना के खिलाफ आक्रोश का मुख्य कारण बना। 

इससे बांग्लादेश में उथल-पुथल मच गई और देश की बागडोर आर्मी के हाथों में चली गई। बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन ने सरकार को घुटनों पर ला दिया। इस पूरे घटनाक्रम में जमात-ए-इस्लामी की भूमिका पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है।


जमात-ए-इस्लामी का उभार और शेख हसीना का पतन

1. जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध

सरकार का निर्णय

1 अगस्त को बांग्लादेश सरकार ने जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र संगठन पर बैन लगाने का निर्णय लिया। सरकार ने इस संगठन पर विरोध प्रदर्शन भड़काने का आरोप लगाया। इस कदम को सरकार के लिए घातक माना गया क्योंकि इससे विरोध प्रदर्शन और तेज हो गए।

विरोध प्रदर्शन

जमात-ए-इस्लामी पर बैन के बाद विरोध प्रदर्शन और उग्र हो गए। प्रदर्शनकारियों ने हिंसा और सैकड़ों मौतों के लिए हसीना सरकार को जिम्मेदार ठहराया और शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की। सरकार के इस फैसले ने आग में घी का काम किया और स्थिति को और बिगाड़ दिया।

2. जमात-ए-इस्लामी की पृष्ठभूमि

स्थापना और इतिहास

जमात-ए-इस्लामी की स्थापना 1941 में इस्लामी धर्मशास्त्री मौलाना अबुल अला मौदूदी ने की थी। यह संगठन इस्लाम की आधुनिक संकल्पना के आधार पर एक विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए बना था। 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्र होने पर यह संगठन भी दो धड़ों में बंट गया।

बांग्लादेश में भूमिका

बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी सबसे बड़ी इस्लामिक राजनीतिक पार्टी है। इसका छात्र संगठन बांग्लादेश इस्लामी छात्र शिविर काफी प्रभावशाली है। हालांकि, इस पर हिंसा और चरमपंथ को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। हिंदुओं पर होने वाले हमलों में इस संगठन का नाम आता है।

3. आरक्षण विवाद और विरोध प्रदर्शन

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

21 जुलाई को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण कोटे को अवैध करार दिया। इस फैसले से छात्रों के विरोध प्रदर्शन को और बल मिला। प्रदर्शनकारी शेख हसीना सरकार के इस्तीफे की मांग करने लगे।

प्रदर्शनकारियों का आक्रोश

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी हिंसक प्रदर्शन जारी रहे। शेख हसीना के विरोध में प्रदर्शनकारी अड़ गए और स्थिति को नियंत्रण से बाहर कर दिया। माना जा रहा है कि इन प्रदर्शनों के पीछे जमात-ए-इस्लामी का हाथ था।

4. जमात-ए-इस्लामी का राजनीतिक सफर

चुनावों में भागीदारी

जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में आम चुनाव में हिस्सा ले चुकी है। यह खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की सरकार में भी शामिल रही है। हालांकि, इस पर चरमपंथी होने का आरोप लगता रहा है।

कानूनी स्थिति

1 अगस्त 2013 को बांग्लादेश हाई कोर्ट ने जमात-ए-इस्लामी के चुनाव आयोग के साथ रजिस्ट्रेशन को अवैध घोषित कर दिया था। 2018 में बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने इसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया, जिससे यह चुनाव लड़ने से अयोग्य हो गई थी।

5. मौजूदा स्थिति

वर्तमान परिदृश्य

जमात-ए-इस्लामी के बैन के बाद से बांग्लादेश में स्थिति काफी अस्थिर हो गई है। शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा और देश की बागडोर आर्मी के हाथों में चली गई।

भविष्य की संभावनाएं

जमात-ए-इस्लामी के उभार और शेख हसीना के पतन ने बांग्लादेश की राजनीति में एक नई दिशा दी है। आने वाले समय में इस संगठन की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो सकती है।


Conclusion

जमात-ए-इस्लामी पर बैन लगाने का शेख हसीना का निर्णय उनकी सत्ता के पतन का मुख्य कारण बना। बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन ने सरकार को घुटनों पर ला दिया। जमात-ए-इस्लामी की पृष्ठभूमि और उसके राजनीतिक सफर ने इस पूरी घटना को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया। बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए यह स्पष्ट है कि जमात-ए-इस्लामी की भूमिका आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण हो सकती है। शेख हसीना का पतन बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है।

जमात-ए-इस्लामी क्या है?

जमात-ए-इस्लामी एक राजनीतिक और धार्मिक संगठन है जो दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में सक्रिय है।

शेख हसीना कौन हैं?

शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं।

जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना को बेदखल कैसे किया?

जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना के खिलाफ विरोध और आंदोलन चलाए, जिससे उनकी सरकार को संकट का सामना करना पड़ा।

क्या जमात-ए-इस्लामी और शेख हसीना के बीच मतभेद थे?

हाँ, जमात-ए-इस्लामी और शेख हसीना के बीच राजनीतिक और वैचारिक मतभेद थे, जो समय के साथ बढ़ते गए।

जमात-ए-इस्लामी का बांग्लादेश की राजनीति में क्या प्रभाव है?

जमात-ए-इस्लामी का बांग्लादेश की राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है, विशेषकर धार्मिक मुद्दों और सामाजिक आंदोलनों में।

शेख हसीना और जमात-ए-इस्लामी के बीच संघर्ष कब शुरू हुआ?

शेख हसीना और जमात-ए-इस्लामी के बीच संघर्ष उनके शासनकाल के दौरान विभिन्न मुद्दों पर मतभेदों के कारण शुरू हुआ।

क्या जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हिंसक आंदोलन किए?

जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना की सरकार के खिलाफ कई बार हिंसक आंदोलन और विरोध प्रदर्शन किए हैं।

शेख हसीना की सरकार पर जमात-ए-इस्लामी के विरोध का क्या असर पड़ा?

जमात-ए-इस्लामी के विरोध ने शेख हसीना की सरकार को राजनीतिक अस्थिरता और कई समस्याओं का सामना करने पर मजबूर किया।

क्या शेख हसीना ने जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ कोई कार्रवाई की?

हाँ, शेख हसीना ने जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ कानूनी और राजनीतिक कार्रवाई की, जिसमें उनके नेताओं को सजा दिलवाना भी शामिल था।

जमात-ए-इस्लामी का शेख हसीना के खिलाफ मुख्य मुद्दा क्या था?

जमात-ए-इस्लामी का मुख्य मुद्दा शेख हसीना की सरकार की नीतियों और उनके धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से था।

क्या शेख हसीना ने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाया?

शेख हसीना ने जमात-ए-इस्लामी पर कई प्रतिबंध लगाए, विशेष रूप से उनके नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए।

जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना की सरकार को कैसे कमजोर किया?

जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना की सरकार के खिलाफ राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों के माध्यम से उनकी सरकार को कमजोर करने की कोशिश की।

क्या जमात-ए-इस्लामी ने अन्य राजनीतिक दलों के साथ मिलकर शेख हसीना को सत्ता से बाहर करने की कोशिश की?

हाँ, जमात-ए-इस्लामी ने अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर शेख हसीना को सत्ता से बाहर करने की कोशिश की।

क्या शेख हसीना की सरकार को जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ समर्थन मिला?

हाँ, शेख हसीना की सरकार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय और कुछ घरेलू दलों से समर्थन मिला, जिससे वे जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ खड़ी रहीं।

क्या जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना के खिलाफ चुनावी रणनीति बनाई?

हाँ, जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना के खिलाफ चुनावी रणनीति बनाई, जिसमें उनके खिलाफ प्रचार और गठबंधन शामिल थे।

जमात-ए-इस्लामी की शेख हसीना के खिलाफ रणनीति क्या थी?

जमात-ए-इस्लामी की रणनीति शेख हसीना की सरकार को अस्थिर करने और उनकी नीतियों के खिलाफ जनता को मोड़ने की थी।

क्या जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना के खिलाफ धार्मिक मुद्दों का उपयोग किया?

हाँ, जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना के खिलाफ धार्मिक मुद्दों का उपयोग किया, जिसमें उनके धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण की आलोचना शामिल थी।

क्या शेख हसीना ने जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ कोई विशेष कानून लागू किया?

शेख हसीना की सरकार ने जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ कई विशेष कानून लागू किए, जिनका उद्देश्य उनके प्रभाव को कम करना था।

क्या जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की?

जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना की सरकार के खिलाफ कानूनी चुनौतियाँ दीं, लेकिन वे ज्यादातर असफल रहीं।

क्या शेख हसीना और जमात-ए-इस्लामी के बीच कोई शांति वार्ता हुई?

शेख हसीना और जमात-ए-इस्लामी के बीच कभी-कभी शांति वार्ता की कोशिशें हुईं, लेकिन वे सफल नहीं हो सकीं।

क्या जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना के खिलाफ विदेशों में समर्थन हासिल किया?

जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना के खिलाफ विदेशों में समर्थन हासिल करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सीमित सफलता मिली।

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